क्या है क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी: कैसे ड्रोन से बादल फाड़ कराते हैं कृत्रिम बारिश

Published : Aug 12, 2025, 10:35 AM ISTUpdated : Aug 12, 2025, 10:36 AM IST
Drone Artificial Rain

सार

Drone Rain Jaipur: राजस्थान के जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में आज देश का पहला ड्रोन-आधारित क्लाउड सीडिंग पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा दोपहर 2 बजे इस ऐतिहासिक कृत्रिम वर्षा प्रयोग का उद्घाटन करेंगे। 

Artificial Rain IN Rajasthan : देश में पहली बार राजस्थान के जयपुर में ड्रोन तकनीक के माध्यम से कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का पायलट प्रोजेक्ट मंगलवार, 12 अगस्त को होगा। यह एक ऐतिहासिक पहल है, जो राज्य के कृषि क्षेत्र को नई दिशा दे सकती है। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा दोपहर 2 बजे जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में इसकी औपचारिक शुरुआत करेंगे।

अमेरिका और बेंगलूरु की कंपनी कर रहीं टेस्ट

  • केंद्र एवं राज्य सरकार के सभी विभागों से इस परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है। 
  • अब तक क्लाउड सीडिंग के लिए हवाई जहाज का उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन पहली बार ड्रोन के जरिए इस तकनीक का परीक्षण किया जाएगा। 
  • अमेरिका और बेंगलूरु की टेक्नोलॉजी कंपनी जेन एक्स एआई ने राजस्थान कृषि विभाग के साथ मिलकर इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए साठ ड्रोन उड़ान भरेंगे।

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क्या है क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी

  • क्लाउड सीडिंग, जिसे कृत्रिम बारिश भी कहते हैं, एक तरह से यह एक मौसम परिवर्तन तकनीक है। 
  • क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया में बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों को छोड़ा जाता है।
  • रसायन पानी की सूक्ष्म बूंदों को एकत्रित करके उन्हें भारी बनाते हैं, जिससे बारिश होती है। 
  •  इसके लिए बादलों में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है। 
  • ड्रोन के जरिए रसायन छोड़ने से बारिश की दिशा और मात्रा को नियंत्रित करना संभव हो सकेगा।

रेगिस्तान में भी अब दिखेगा पानी ही पानी

राजस्थान में कई बार मानसून के दौरान बादल तो आते हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में बारिश नहीं होती, जिससे फसलों को भारी नुकसान होता है। इस तकनीक से विशेष रूप से ऐसे इलाकों में बारिश कर किसानों को राहत मिल सकेगी और सूखे के खतरे को कम किया जा सकेगा। पिछले साल चित्तौड़गढ़ के भैसुंदा बांध पर प्लेन से कृत्रिम बारिश का प्रयास किया गया था, लेकिन नमी की कमी के कारण वह प्रयास सफल नहीं हो पाया था। इस बार ड्रोन तकनीक से बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है।

राजस्थान में फाड़े जाएंगे बादल: जयपुर में कल पहली बार ड्रोन से होगी कृत्रिम बारिश

 वैज्ञानिकों की टीम कई दिन से कर रही थी इसकी तैयारी

  • इस प्रयोग के लिए राजस्थान में वैज्ञानिकों की एक विशेषज्ञ टीम कई दिनों से ड्रोन उड़ान और क्लाउड सीडिंग की तैयारियों में लगी हुई है। परियोजना को डीजीसीए, मौसम विभाग, जिला प्रशासन और कृषि विभाग की मंजूरी प्राप्त है। भारी बारिश की संभावना के कारण यह परीक्षण पहले 31 जुलाई को स्थगित किया गया था। अब मौसम अनुकूल होने पर इसका सफल आयोजन किया जाएगा।
  • इस महत्वपूर्ण अवसर पर रामगढ़ बांध क्षेत्र में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें स्थानीय लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। इसका उद्देश्य उन्हें क्लाउड सीडिंग तकनीक के बारे में जागरूक करना और इस पहल के महत्व को समझाना है।

मील का पत्थर साबित होगी क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी

भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए यह तकनीक मील का पत्थर साबित हो सकती है अगर यह ड्रोन आधारित कृत्रिम बारिश परियोजना सफल होती है तो राजस्थान के किसानों को मानसून के अनिश्चित दौर में बड़ी राहत मिलेगी। यह तकनीक सूखे प्रभावित इलाकों में फसलों को बचाने और जल संकट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। राज्य सरकार की इस पहल से कृषि क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।

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