राजस्थान की धरती से निकला बेशकीमती खजाना: चीन की बादशाहत खत्म करेगा यह दुर्लभ चीज

सार

Balotra News : बालोतरा में दुर्लभ खनिजों का भंडार मिला है, जो चीन की मोनोपोली को चुनौती देगा। इससे भारत आत्मनिर्भर बनेगा और अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

बालोतरा (राजस्थान).रेगिस्तान की तपती रेत के नीचे छुपे खजाने का राज़ अब खुल चुका है! राजस्थान के नवगठित जिले बालोतरा में दुर्लभ खनिजों का भंडार मिला है, जिससे न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि चीन की वैश्विक मोनोपोली को भी चुनौती दी जा सकेगी। इस खोज की आधिकारिक पुष्टि भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग ने कर दी है।

बालोतरा में 1 लाख टन से ज्यादा दुर्लभ खनिज का भंडार

 बालोतरा के सिवाना क्षेत्र की पहाड़ियों में 1,11,845 टन दुर्लभ मृदा तत्व ऑक्साइड (Rare Earth Oxide - REO) का विशाल भंडार मिला है। ये वही दुर्लभ खनिज हैं जिनका उपयोग परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल, सैटेलाइट, रक्षा उपकरणों और कई आधुनिक तकनीकों में किया जाता है। अब तक भारत इन खनिजों के लिए चीन पर निर्भर था, लेकिन इस खोज के बाद देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है।

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सिवाना क्षेत्र में कैसे हुई इस खजाने की खोज?

 सिवाना क्षेत्र में एक दशक पहले ही दुर्लभ खनिजों की मौजूदगी के संकेत मिले थे। परमाणु ऊर्जा विभाग ने 2021-22 में जी-4 (प्रारंभिक अन्वेषण) और जी-3 (संसाधन जुटाने) के तहत इस पर गहन शोध किया। अब यह प्रमाणित हो गया है कि बालोतरा की कठोर चट्टानों के नीचे छुपा यह खजाना भारत की औद्योगिक प्रगति के लिए वरदान साबित हो सकता है।

चीन की मोनोपोली को देगा टक्कर 

वर्तमान में चीन दुर्लभ खनिजों के वैश्विक बाजार पर राज करता है। भारत हर साल करीब 700 टन दुर्लभ खनिज चीन से आयात करता है। इसके अलावा अमेरिका, जापान, स्वीडन और सिंगापुर जैसे देशों से भी आयात किया जाता है। लेकिन अब बालोतरा की इस खोज के बाद भारत खुद को इस निर्भरता से मुक्त कर सकता है और खनिज निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो सकता है।

सिवाना की पहाड़ियों में हो रहा अन्वेषण?

 सिवाना की पहाड़ियों में कई स्थानों पर दुर्लभ खनिजों की खोज जारी है, जिनमें इंद्राणा सिवाना, सुकलेश्वर मंदिर, कुंडल-धीरा, सिलोर दंताला, बाछड़ाऊ (धोरीमन्ना), गुड़ानाल और रेलों की ढाणी प्रमुख हैं।

भारत के लिए क्या होगा फायदा? 

आयात पर निर्भरता घटेगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। परमाणु और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। नई टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा। बालोतरा क्षेत्र के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

आगे की राह…

 इस खोज के बाद सरकार और वैज्ञानिकों की टीम अब इसे खनन और उत्पादन स्तर तक ले जाने की रणनीति बना रही है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो भारत वैश्विक स्तर पर दुर्लभ खनिजों का नया हब बन सकता है। राजस्थान की धरती से निकला यह खजाना देश की आर्थिक और तकनीकी शक्ति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

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