रेलवे का शर्मनाक कारनामा...मौत के बाद अस्थियों के लिए बुक की थी सीट, लेकिन TTE ने कर दिया बड़ा कांड

रेलवे में धांधली और लापरवाही की खबरें आना तो आम बात है। लेकिन राजस्थान के जोधपुर से अब जो मामला सामने आया है, वह बेहद शर्मनाक है। यहां बुजुर्ग की मौत के बाद परिवार ने अस्थि के लिए टिकट बुक किया था। लेकिन टीटीई ने तो वह सीट भी पैसे के लिए बेंच दिया।

Arvind Raghuwanshi | Published : Feb 28, 2023 6:57 AM IST / Updated: Feb 28 2023, 03:19 PM IST

जोधपुर. रेलवे के एक टीटीई की गलती के कारण राजस्थान के जोधपुर जिले में रहने वाले एक परिवार की भावनाएं आहत हो गई। परिवार में बुजुर्ग की मौत के बाद उनके मोक्ष के लिए उनके अस्थि कलश को ट्रेन से ले जाने के दौरान यह शर्मनाक वाक्या सामने आया है। आहत हुए परिवार के लोग ज्यादा तो कुछ नहीं कर सके लेकिन उन्होनें इस पूरे मामले को लेकर रेल मंत्री को ट्वीट कर अपनी आपत्ति जताई है और साथ ही टीटीई की शिकायत की है।

दामाद ने ससुर की अस्तियों के लिए बुक कराई थी बर्थ

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दरअसल जोधपुर में रहने वाले हरीश मंगेश नाम के एक व्यक्ति के ससुर का करीब 70 साल की उम्र में देहांत हो गया। उनकी अस्थियों को लेकर हरिद्वार जाने के की परिवार ने तैयारी की। हरीश ने तीन टिकिट बुक कराने के साथ ही ससुर की अस्थियों के लिए एक और सीट बुक कराई। चारों टिकिट का भुगतान करने के बाद हरिद्वार जाने वाली ट्रेन में परिवार सवार हो गया। अस्थि कलश को नजदीक ही सीट पर रख दिया गया। पता चला कि कुछ देर बाद एक पैसेंजर वहां आ गया और उसने अस्थि कलश हरीश को दे दिया।

रेलवे मंत्री तक पहुंचा टीटीई का यह शर्मनाक कांड

पीड़ित ने कहा टीटीई ने उसे यह सीट बेच दी है और उसने किराये की पर्ची दिखा दी। हरीश ने टीटीई से बात करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी तो अपने ससुर की अस्थि कलश को अपने पास रख लिया और बाद में हरिद्वार जाकर अंतिम क्रिया की गई। उसके बाद हरीश ने इस बारे ट्वीट कर रेल मंत्री को मैसेज भेजा और आपत्ति दर्ज कराई कि यह हमारी संवेदनाओं से जुड़ा मुद्दा है, टिकिट के रुपए दे दिए गए थे फिर भी टीटीई ने किसी और को सीट बेच दी।

अस्थि के लिए यहां लिया जाता है टिकट

दरअसल राजस्थान के कई शहरों में परिवार में गमी होने के बाद अस्थि कलश को ट्रेन या बस मे ले जाने के दौरान परिवार के लोग मृत व्यक्ति का टिकिट भी लेते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि उनके बुजुर्ग या परिवार के सदस्य उनके साथ हैं। ऐसा अधिकतर हरिद्वार जाने के दौरान किया जाता है। वापस घर लौटते समय एक टिकिट कम कर दिया जाता है।

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