
जयपुर.राजस्थन के कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की चेतना के शरीर में अब कोई मूवमेंट नहीं हो रहा है। कैमरों से कोई खुशखबर नहीं आ रही है। सोमवार दोपहर दो बजे से रेस्क्यू अभियान जारी है। हरियाणा और दिल्ली तक से टीमों को बुलाया गया है। कभी बारिश तो कभी धरती के नीचे पत्थर बाधा बन रहे हैं और परेशानी बढ़ती जा रही है। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि करोड़ों को ये खर्च सिर्फ 180 रूपए खर्च कर बचाया जा सकता था। साथ ही बच्ची को भी बचाया जा सकता था।
सिर्फ 180 रुपए के खर्च में बच सकती है जान दरअसल राजस्थान इन तीन राज्यों में शामिल है जहां पर सबसे ज्यादा बोरवेल खोदे जाते हैं। इनमें से सिर्फ पांच से आठ प्रतिशत में ही पानी निकलता है। अधिकतर बोरवेल किसान अपने खेतों में फसलों के लिए खोदते हैं और लेकिन पानी बहुत ही कम निकलता है। इसे में इन्हें बंद करने के लिए सिर्फ 180 रुपए लगते हैं। दरअसल नौ इंच का बोरवेल का ढक्कन मिलता है जो बोरवेल पर फिट हो जाता है। उसे छोटे बच्चे आसानी से नहीं निकाल सकते हैं। इसके अलावा दो सौ पचास रुपए में लोहे का ढक्कन मिलता है जिसे भी आसानी से फिट किया जा सकता है।
इस महीने ही तीन केस आ चुके, सिर्फ एक बच्ची बची इस महीने ही राजस्थान में बोरवेल के तीन हादसे हो चुके हैं। दौसा जिले में ही दो हादसे हो चुके हैं। इनमें से सही समय पर एक्टिव होने के कारण एक बच्ची को तो जिंदा बचा लिया गया लेकिन छह साल के आर्यन को तीन दिन के बाद मृत हालात में निकाला जा सका। वह भी करीब तीन सौ फीट गहरे बोरवेल में गिरा था। चेतना के हादसे के बाद अब सरकार चेती है। सीएम ने सभी शहरों के कलेक्टर को ऑर्डर दिया है कि बिना सूचना कोई भी बोरवेल खुदना नहीं चाहिए, पुलिस से भी लगातार संपर्क रखने को कहा गया है। कई शहरों की पुलिस ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक नंबर जारी किए हैं कि अगर कहीं बोरवेल खुले हैं तो वे पुलिस को सूचना दे सकते हैं।
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