
सिरोही (sirohi). कल महाशिवरात्रि का त्यौहार है। यह त्योहार केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में भगवान शिव का एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शिव के अंगूठे की पूजा की जाती है। यह मंदिर है राजस्थान के सबसे ऊंचे पहाड़ो माउंट आबू में स्थित अचलेश्वर महादेव। जो अपनी इस खासियत के लिए पूरे राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत देश में प्रसिद्ध है।
भगवान शिव के अंगूठे की होती है पूजा
इस मंदिर में पूजा किसी शिवलिंग नहीं बल्कि भगवान शिव के पैर के अंगूठे की होती है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं और पुजारियों का मानना है कि भगवान शिव का वास उनकी मूर्ति के पैर में होता है। लोगों की मान्यता है कि भगवान के इस अंगूठे के वजह से ही बड़े बड़े पहाड़ भी टिके हुए हैं। इतना ही नहीं इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि इस मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। हालांकि यह सूर्य की किरणों के कारण होता है।
इस मान्यता के चलते होती है अंगूठे की पूजा
मान्यता है कि पुराने समय में जब भगवान शिव हिमालय में तपस्या कर रहे थे उस दौरान उनकी तपस्या में विघ्न आ गया क्योंकि पर्वत अचानक हिलने लगा। ऐसे में भगवान शिव के पास सबसे बड़ा संकट है ताकि पर्वत के साथ उन्हें नंदी को भी बचाना था। ऐसे में भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे को नीचे की तरफ दबाया और पर्वत फैल गया और नंदी भी बच गया। इसके बाद से ही राजस्थान में माउंट आबू पर्वत बना। इसके अलावा मंदिर की और भी कई मान्यताएं है।
राजस्थान में मानसून के दौरान मंदिर का आकर्षण अलग ही होता है। क्योंकि बारिश के बीच वादियों में लोग यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर पुजारियों के मुताबिक यहां हर साल करीब 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
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