
बूंदी. राजस्थान की वीर भूमि न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि देशभक्ति और बलिदान की अनगिनत कहानियों से भी समृद्ध है। राज्य के कई गाँव ऐसे हैं, जो भारतीय सेना के लिए जवानों का निरंतर योगदान देते रहे हैं। इन्हीं गाँवों में झुंझुनू जिले का भिर्र, बूंदी जिले का उमर, और भरतपुर का दमदमा प्रमुख उदाहरण हैं।
फौजियों का गांव भिर्र : फौजियों की फैक्ट्री झुंझुनू जिले के बुहाना तहसील स्थित भिर्र गाँव को 'फौजियों की फैक्ट्री' कहा जाता है। 5,000 की आबादी वाले इस छोटे से गाँव में हर घर से एक व्यक्ति सेना में सेवाएं दे रहा है। यहाँ के युवाओं में सेना में भर्ती होने का जुनून बचपन से देखा जाता है। इस गाँव के 1,000 से अधिक सेवानिवृत्त सैनिक और करीब 900 सक्रिय सैनिक देश की जल, थल, वायु सेना और पैरामिलिट्री सेवाओं में कार्यरत हैं। 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में इस गाँव के सैनिकों ने अपनी बहादुरी से देश का नाम रोशन किया है।
फौजियों का उमर गाँव: चौथी पीढ़ी सेना में बूंदी जिले के उमर गाँव की पहचान 'फौजियों के गाँव' के रूप में है। प्रथम विश्व युद्ध से लेकर करगिल युद्ध तक, इस गाँव के जांबाज सैनिकों ने हर मोर्चे पर अपनी बहादुरी दिखाई। आज इस गाँव की चौथी पीढ़ी सेना में सेवाएं दे रही है। 500 से अधिक सैनिकों का योगदान देने वाला यह गाँव मातृभूमि की सेवा में अद्वितीय उदाहरण है।
फौजियों का दमदमा गाँव: हर घर में एक फौजी भरतपुर जिले का दमदमा गाँव भी अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। यहाँ हर घर में कम से कम एक फौजी मौजूद है। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और यहाँ के युवाओं के लिए सेना में जाना केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि कर्तव्य और सम्मान की बात है।
राजस्थान के ये गाँव भारतीय सेना के प्रति अपनी अटूट निष्ठा और समर्पण के लिए देशभर में एक मिसाल हैं। इन गाँवों की परंपरा यह दर्शाती है कि देश की सेवा में समर्पित रहने का जुनून यहाँ की मिट्टी में बसा हुआ है। ये गाँव न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक हैं।
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