
Udaipur Files Controversy 'उदयपुर फाइल्स' नाम की अपकमिंग हिंदी फिल्म को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में एक नई कानूनी लड़ाई छिड़ गई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस फिल्म के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है और गंभीर आरोप लगाए हैं। मदनी ने दावा किया है कि फिल्म में भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान समर्थक, आतंकियों के प्रति हमदर्द और देशविरोधी मानसिकता वाला दिखाया गया है। उनके मुताबिक, यह सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि देश के सांप्रदायिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाली साजिश है।
उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी ने फिल्म की समीक्षा में लापरवाही बरती और केवल 6 मामूली बदलाव सुझाए, जो कि नाकाफी हैं। मदनी ने सवाल उठाया कि जब जमीयत ने सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट को ही चुनौती दी है, तो फिर सेंसर बोर्ड के ही सदस्यों को स्क्रीनिंग कमेटी में क्यों रखा गया? उन्होंने इसे 'हितों का टकराव' का साफ मामला बताया। मदनी की मांग है कि फिल्म की एक निजी स्क्रीनिंग सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए आयोजित की जाए, ताकि वे खुद फिल्म की विषयवस्तु और मंशा को समझ सकें। जमीयत का कहना है कि यह फिल्म केवल कन्हैया लाल की हत्या की घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके बहाने पूरे मुस्लिम समुदाय को संदेह की नजर से दिखाया गया है, जिससे सामाजिक तनाव और नफरत बढ़ सकती है।
विवादों के बीच, यह जानना जरूरी है कि 'उदयपुर फाइल्स' 28 जून 2022 को दर्जी कन्हैया लाल साहू की निर्मम हत्या पर आधारित है। इस फिल्म का निर्देशन भारत एस. श्रीनाथ और जयंत सिन्हा ने किया है, और इसमें विजय राज, रजनीश दुग्गल और प्रीति झांगियानी जैसे कलाकार नजर आएंगे। फिल्म में सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि उसके बाद का राजनीतिक-सामाजिक मौन और न्याय की तलाश की कहानी भी दिखाई गई है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला सुनाता है? क्या फिल्म को रिलीज की हरी झंडी मिलेगी या फिर नए बदलावों की मांग होगी?
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