Population Policy Failure के बीच उदयपुर झाड़ोल में 55 वर्षीय रेखा कालबेलिया ने 17वीं संतान को जन्म दिया। अत्यधिक गरीबी, अशिक्षा और आवासहीनता के साथ परिवार सभी सरकारी योजनाओं के बावजूद बुनियादी जरूरतों से जूझ रहा है।
Udaipur News: बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए सरकार ने कई साल पहले ‘हम दो, हमारे दो’ जैसी योजनाएं शुरू कीं। इसके बावजूद आदिवासी अंचल में इस नीति की सफलता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। उदयपुर जिले के झाड़ोल क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरान कर दिया। 55 वर्षीय रेखा कालबेलिया ने हाल ही में अपने 17वें बच्चे को जन्म दिया।
उदयपुर की रेखा के 5 बच्चों की हो चुकी है शादी
हॉस्पिटल में भर्ती रेखा किसी बीमारी के इलाज के लिए नहीं आई थीं, बल्कि उनका यह जन्म जनसंख्या नियंत्रण की कोशिशों पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। रेखा पहले भी 16 बच्चों की मां रह चुकी हैं, जिनमें से चार बेटे और एक बेटी जन्म के बाद ही चल बसे। उनकी पांच संतानें विवाहिता हैं और उनके अपने बच्चे भी हैं।
रहने को मकान नहीं…फिर कर ली 17 संतान?
रेखा के पति कवरा कालबेलिया ने बताया कि उनके पास रहने के लिए स्थायी मकान नहीं है। जीवन यापन के लिए उन्हें साहूकार से उच्च ब्याज पर पैसा लेना पड़ा, जिससे अब तक लाखों रुपए चुका दिए हैं, लेकिन पूरा ब्याज भुगतान संभव नहीं हो पाया। परिवार भले ही पीएम आवास योजना का लाभ ले चुका है, लेकिन जमीन उनके नाम पर नहीं होने की वजह से परिवार आज भी बच्चों समेत अस्थायी आश्रय में जीवन यापन कर रहा है।
कवरा ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई और सामान्य जीवन की जरूरतों को पूरा करना उनके लिए बेहद कठिन रहा। भले ही सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करती हो, लेकिन ऐसे परिवारों के जीवन में सुधार के नाम पर केवल आंकड़े ही बढ़ रहे हैं।
17वीं संतान पर क्या कहते हैं उदयपुर के डॉक्टर
झाड़ोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रोशन दरांगी ने कहा कि जब रेखा भर्ती हुई थीं, तो परिवार ने उन्हें अपनी चौथी संतान बताया। बाद में यह पता चला कि यह उनकी 17वीं संतान है। डॉक्टर ने कहा कि अब रेखा और उनके पति को नसबंदी के लिए जागरूक किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।
यह मामला आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन की कमियों को उजागर करता है। यह साफ करता है कि केवल सरकारी योजनाएं बनाना पर्याप्त नहीं है। जब तक गांवों और आदिवासी अंचलों का समग्र विकास नहीं होगा, वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में सुधार नहीं आएगा।
राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।