
what is FRS system facial recognition : राजस्थान में लाखों महिलाओं और छोटे बच्चों के पोषण पर संकट खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार की ओर से 1 जुलाई से फेसियल रिकग्निशन सिस्टम (FRS) के जरिए पोषाहार वितरण की अनिवार्यता लागू की गई है। लेकिन राजस्थान की बड़ी संख्या में गर्भवती और धात्री महिलाएं इस डिजिटल पहचान प्रणाली से अब तक नहीं जुड़ पाई हैं। राज्य में कुल 23.56 लाख लाभार्थियों में से केवल 18.15 लाख को ही अब तक FRS से जोड़ा जा सका है। यानी करीब 5.40 लाख महिलाएं और बच्चे अब पोषाहार से वंचित रह सकते हैं। यह महिलाएं या तो तकनीकी कारणों से ई-केवाईसी नहीं करवा पाईं या फिर चेहरे की पहचान प्रणाली में उनकी प्रोफाइल अपडेट नहीं हो सकी है।
Facial Recognition System यानी चेहरे की पहचान तकनीक के जरिए लाभार्थी की पहचान आधार कार्ड और फोटोग्राफ से की जाती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पोषण ट्रैकर ऐप में लाभार्थी की फोटो खींचती हैं, और अगर फोटो मिल जाती है तो संबंधित मोबाइल नंबर पर ओटीपी आता है। ओटीपी सत्यापन के बाद ही टेक होम राशन (THR) यानी पोषाहार दिया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य है कि पोषाहार सही व्यक्ति तक पहुंचे और फर्जीवाड़ा रोका जा सके। साथ ही सरकार को रीयल टाइम डेटा मिल सके जिससे योजना की निगरानी बेहतर हो।
FRS सिस्टम को लागू करने में राजस्थान देशभर में 9वें स्थान पर है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या, मोबाइल का अभाव और तकनीकी जानकारी की कमी बड़ी बाधा बनी है।
अब सरकार की चुनौती है कि कैसे बाकी लाभार्थियों को जल्द से जल्द इस डिजिटल प्रक्रिया में शामिल किया जाए, ताकि कोई भी महिला या बच्चा जरूरी पोषण से वंचित न रहे।
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