तालिबान के मंत्री ने किया देवबंद का दौरा, अफगानिस्तान से क्या है देवबंद का रिश्ता?

Published : Oct 11, 2025, 02:53 PM IST
amir khan muttaqi afghanistan foreign minister up deoband visit

सार

Amir Khan Muttaqi India visit: अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने देवबंद के दारुल उलूम का दौरा किया। यह तालिबान के वरिष्ठ मंत्री का भारत में पहला दौरा है, जो भारत-अफगानिस्तान के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करेगा।

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने छः दिवसीय भारत दौरे के तहत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में प्रसिद्ध दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया। यह पहला मौका है जब तालिबान के किसी वरिष्ठ मंत्री ने काबुल में सत्ता संभालने के बाद भारत का आधिकारिक भ्रमण किया है। इस यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों में नए अवसरों के रूप में देखा जा रहा है।

मुत्ताकी ने व्यक्त की देवबंद की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता

विदेश मंत्री मुत्ताकी ने देवबंद पहुँच कर इस्लामिक शिक्षा केंद्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “देवबंद अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए एक गहरा रूहानी केन्द्र है। यहां के उलेमा से मिलने का उद्देश्य दोनों देशों के धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों को और मज़बूत बनाना है।” उन्होंने भविष्य में ज्यादा अफगानी छात्रों के यहां शिक्षा ग्रहण करने की उम्मीद जताई।

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अभूतपूर्व स्वागत और संवाद से जुड़ी उम्मीदें

मुत्ताकी ने कहा कि दारुल उलूम के लोग और आसपास के इलाके के नागरिकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके मुताबिक, “यह यात्रा काफी सकारात्मक रही है और मुझे आशा है कि भारत-अफगानिस्तान के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत होंगे।” उन्होंने देवबंद के विद्वानों और प्रशासन से उपयोगी चर्चाएं कीं।

देवबंद-अफगानिस्तान: ऐतिहासिक और वैचारिक संबंधों का विश्लेषण

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगान विद्वान देवबंद के सबसे प्रारंभिक विदेशी छात्रों में से थे, जिन्होंने वहां पढ़ाई के बाद अपने देश में मदरसों की स्थापना की। तालिबान भी अपनी वैचारिक पहचान भारतीय देवबंदी परंपरा से जोड़ता है। यह दौरा पाकिस्तान के प्रभावों से अलगाव और अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने का प्रयास माना जा रहा है।

पाकिस्तानी हक्कानिया मदरसे का देवबंद से गहरा नाता

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबित, पाकिस्तान के दारुल उलूम हक्कानिया में भी देवबंदी शिक्षण पद्धति अपनाई गई है। इसके संस्थापक मौलाना अब्दुल हक ने विभाजन से पूर्व देवबंद में अध्ययन और अध्यापन किया था। इस मदरसे को तालिबान आंदोलन के विचारधारा निर्माण में अहम स्थान प्राप्त है।

सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान, प्रशासन ने किया समन्वय

सहारनपुर पुलिस अधीक्षक सागर जैन ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने मुत्ताकी के दौरे को ध्यान में रखते हुए व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए हैं। जिला प्रशासन और दारुल उलूम प्रशासन के बीच समन्वय से कार्यक्रम का शांति और सुव्यवस्था के साथ संचालन हो रहा है।

मुत्ताकी ने करीब से स्थानीय छात्रों से बातचीत की और दारुल उलूम के ऐतिहासिक पुस्तकालय का दौरा भी किया। उनकी यात्रा ने छात्रों एवं स्थानीय लोगों में उत्साह और उम्मीदें जगा दी हैं। उन्होंने कहा, “देवबंद और अफगानिस्तान के रिश्ते सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी हैं, जिन्हें और मजबूत किया जाएगा।”

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