25 की उम्र के बाद लड़कियों के हो जाते हैं बॉयफ्रेंड? अनिरुद्धाचार्य के बयान से मचा बवाल!

Published : Jul 26, 2025, 10:47 PM IST
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सार

Aniruddhacharya Women's Statement: प्रयागराज में अनिरुद्धाचार्य के बयान पर महिलाओं में गुस्सा, विरोध प्रदर्शन तेज। धार्मिक मंच से की गई टिप्पणी को लेकर माफी मांगी गई, लेकिन बहस अब भी जारी है। समाज में महिलाओं की गरिमा पर उठे सवाल।

Aniruddhacharya Controversy: प्रयागराज में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का बयान चर्चा और विवाद का केंद्र बन गया। उन्होंने कहा, “25 वर्ष से पहले लड़कियों की शादी हो जानी चाहिए, वरना उनके 4-5 बॉयफ्रेंड हो जाते हैं।” इस बयान ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी, बल्कि महिला संगठनों में भी गहरा आक्रोश पैदा किया।

उनके अनुसार, आधुनिक जीवनशैली और सोशल मीडिया आजकल की लड़कियों के वैवाहिक जीवन में अस्थिरता पैदा कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये उठता है, क्या धार्मिक मंचों का उपयोग इस तरह के निजी विचारों को फैलाने के लिए होना चाहिए?

महिलाओं ने जताया गहरा विरोध,  'ये सोच हमें पीछे धकेलती है'

बयान के सामने आते ही प्रयागराज की महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके मुताबिक, यह सिर्फ एक ‘विवादित बयान’ नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा और स्वायत्तता पर सीधा हमला है।

एक महिला कार्यकर्ता ने कहा, “किसी भी धार्मिक नेता को ये अधिकार नहीं कि वह हमारी आज़ादी और जीवनशैली पर निर्णय दे। इस तरह की बातें समाज में लैंगिक भेदभाव को और मजबूत करती हैं।”

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'माफ़ी मांगो या प्रयागराज में मत आओ': महिलाओं की चेतावनी

बढ़ते विरोध के बीच प्रयागराज की कई महिला संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर अनिरुद्धाचार्य माफ़ी नहीं मांगते, तो उन्हें शहर में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। साथ ही देशभर की महिलाओं से उनके आयोजनों का बहिष्कार करने की अपील की गई है। प्रयागराज विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी इस मामले में अपनी आवाज़ बुलंद की और इसे "नई पीढ़ी के आत्मसम्मान पर हमला" बताया।

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने मांगी माफ़ी

बढ़ते दबाव के बीच अनिरुद्धाचार्य ने सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांग ली है। उन्होंने सफाई दी कि उनका मकसद किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था। लेकिन सवाल अब माफ़ी से आगे बढ़ चुका है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह की सोच केवल वक्ताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के एक हिस्से की सोच को उजागर करती है जो आज भी महिलाओं की स्वतंत्रता को शक की निगाह से देखता है।

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