
Shabih Khan Apple COO: Apple Inc ने अपने नए चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) की घोषणा कर दी है, और इस बार यह जिम्मेदारी भारतीय मूल के शबीह खान को दी गई है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के बाद अब एप्पल ने भी भारत की प्रतिभा पर भरोसा जताया है। शबीह खान अब जेफ विलियम्स की जगह यह भूमिका निभाएंगे।
शबीह खान का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुआ था। बचपन के कुछ साल भारत में बिताने के बाद उनका परिवार सिंगापुर शिफ्ट हो गया। पढ़ाई के लिए उन्होंने इकोनॉमिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया, और फिर न्यूयॉर्क से मास्टर्स भी पूरा किया। तकनीकी समझ और रणनीतिक सोच ने उन्हें जल्द ही तकनीक की दुनिया में मजबूत पहचान दिला दी।
शबीह खान 1995 में Apple से जुड़े थे। शुरुआती दिनों में उन्होंने एप्लिकेशन डेवलपमेंट इंजीनियर के तौर पर काम किया। उनकी मेहनत और टीम वर्क के चलते उन्हें कई बड़े प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी दी गई। साल 2019 में शबीह को Senior Vice President of Operations का पद मिला। उस समय भी उन्होंने कंपनी की सप्लाई चेन और मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम को मजबूती दी।
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कोरोना महामारी के दौर में जहां दुनियाभर की कंपनियों की सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई, वहीं शबीह खान की रणनीति से Apple की सप्लाई चेन लगभग सुरक्षित रही। उन्होंने चीन, वियतनाम और भारत समेत कई देशों में पार्टनरशिप के जरिए जरूरी इक्विपमेंट और प्रोडक्शन लाइन को चालू रखा।
Apple के CEO टिम कुक ने इस नियुक्ति पर बयान देते हुए कहा, “शबीह ने Apple की मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी ऑपरेशंस को मजबूत किया है। अमेरिका के भीतर प्रोडक्शन यूनिट्स को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर लॉजिस्टिक्स की रणनीति को बेहतर बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा है। हमें भरोसा है कि वह COO के रूप में भी बेहतरीन काम करेंगे।”
भारत के लिए यह एक और गौरव का अवसर है, जब एक भारतीय मूल का व्यक्ति दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में शामिल हुआ है। शबीह खान की कहानी न सिर्फ मेहनत की मिसाल है, बल्कि यह भी बताती है कि अगर अवसर और काबिलियत साथ हों, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं।
भारत की युवा पीढ़ी के लिए शबीह खान की सफलता एक प्रेरणा है। एक छोटे शहर से निकलकर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक के संचालन की जिम्मेदारी संभालना आसान नहीं होता। यह नियुक्ति न सिर्फ भारत की तकनीकी ताकत को दुनिया के सामने रखती है, बल्कि बताती है कि ग्लोबल लीडरशिप में भारतीयों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
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