
भारत के आर्थिक सुधारों के जनक और देश के 13वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। इन सबके बीच मनमोहन सिंह से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा सामने आया है, जो हर किसी को हैरान कर रहा है दरअसल, मनमोहन सिंह के बॉडीगार्ड रहे व्यक्ति आज उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि असीम अरुण हैं, जो वर्तमान में योगी आदित्यनाथ की सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री हैं।
असीम अरुण ने एक बेहद दिलचस्प और भावुक किस्सा शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि वे मनमोहन सिंह के करीब तीन साल तक बॉडीगार्ड रहे। असीम अरुण ने कहा, "मन बहुत भारी है मेरा। हम सबका मन भारी है। खासतौर पर मैं डॉक्टर मनमोहन सिंह जी को याद करता हूं, क्योंकि मैं करीब तीन साल उनका मेन बॉडीगार्ड रहा। इस दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा।"
असीम अरुण, जो भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी रहे हैं, विशेष रूप से स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) में तैनात थे, ने मनमोहन सिंह के बॉडीगार्ड के रूप में काम किया। उनका कार्य एक छाया की तरह था, जो हमेशा उनके साथ था। "अगर सारे बॉडीगार्ड भी हट जाएं, तो भी मैं उनके पास मौजूद रहना चाहिए। ये जिम्मेदारी मुझे तीन साल तक निभाने का मौका मिला।"
92 वर्षीय मनमोहन सिंह का स्वास्थ्य कुछ समय से खराब था, और गुरुवार की शाम दिल्ली में अपने आवास पर बेहोश होने के बाद उन्हें एम्स लाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें होश में लाने की काफी कोशिश की, लेकिन असफल रहे और रात 9:51 बजे उनका निधन हो गया। एम्स के बयान के अनुसार, मनमोहन सिंह लंबे समय से वृद्धावस्था से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे। उनका निधन राष्ट्रीय राजनीति और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मनमोहन सिंह के निधन पर पूरी दुनिया से शोक संदेश आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय राजनीति को दिशा दी। असीम अरुण के शब्दों में, "डॉ. मनमोहन सिंह एक इंसान के रूप में उतने ही प्रभावशाली थे जितने एक नेता के रूप में। उनके साथ बिताए हुए सालों को मैं कभी नहीं भूल सकता।"
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ड्यूटी के दौरान,एक घटना ऐसी थी जो आज भी असीम के दिल में बसी हुई है - मनमोहन सिंह जी की पसंदीदा कारथी, उनकी मारुति 800। वे अक्सर असीम से कहते, "असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद है, मेरी गड्डी तो यह है।" यह गाड़ी प्रधानमंत्री के ऐश्वर्य को नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से चुनी गई थी, लेकिन जब भी उनका काफिला उसकी तरफ से गुजरता, डॉ. मनमोहन सिंह उसे बड़े ध्यान से देखते। जैसे वह आत्मनिर्भरता और मिडिल क्लास के प्रतीक के रूप में उसे अपने साथ जोड़ रहे हों। "करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है.
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