उमेश पाल अपहरण मामले में सजा के ऐलान से पहले अतीक अहमद ने कोर्ट में तमाम दलीले दीं। उसका कहना था कि वह जेल में बंद व्यक्ति से पिस्टल क्यों मंगवाएगा। इसी के साथ अभियुक्तों ने न्यूनतम दंड दिए जाने की भी मांग की।
प्रयागराज: उमेश पाल अपहरण केस में अतीक अहमद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। हालांकि जब कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई तो अतीक ने न्यायालय से फैसला सुनाने से पहले उसका पक्ष सुनने की गुहार लगाई। इसके बाद फैसला सुनाने की अपील की।
'जेल में बंद व्यक्ति से क्यों मंगवाऊंगा पिस्टल'
अतीक अहमद की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उस पर आरोप है कि जेल में बंद व्यक्ति के द्वारा उस तक पिस्टल पहुंचाई गई। आखिर वह उससे हथियार क्यों मंगवाएगा जबकि उसके पास बेहतर पिस्टल थी। अतीक, अशरफ और फरहान को कोर्ट में दोपहर तकरीबन साढ़े बारह बजे लाया गया। शेष आरोपी जमानत पर जेल से बाहर थे लिहाजा वो कोर्ट में पेश नहीं हुए। कोर्ट के बैठते ही अतीक ने अपना पक्ष रखने की बात कही।
'सियासी रंजिश के चलते मुकदमेबाजी का लगाया आरोप'
अतीक अहमद ने कोर्ट के सामने कहा कि यह मामला केवल अपहरण का है। जैसे ही बसपा की सरकार बनी तो उसके खिलाफ गुच्छों में मुकदमे दर्ज हुए। यह सभी मुकदमे सियासी रंजिश के चलते करवाए गए थे। उमेश पाल के केस में सिर्फ अपहरण का केस बनता है। पत्रवाली पर जो भी रिकॉर्ड हैं उसे देखकर ही फैसला सुनाया जाए। अतीक ने इस बीच अपने बचाव में तर्क भी रखा। उसका कहना था कि जो व्यक्ति जेल में बंद है उसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया। कोर्ट ने अतीक की बातों को सुनने के बाद दोष के बिंदु पर अपना फैसला सुनाया।
'अभियुक्तों ने अपने बचाव में दिए तर्क'
अभियुक्तों के द्वारा अपने बचाव में तर्क दिया गया कि पत्रावली में कोई भी ऐसा रिकॉर्ड नहीं है जो साबित कर सके कि उमेश पाल से क्रूरता की गई। मामले में आपराधिक इतिहास भी विचारणीय नहीं है। यह मामला उसकी प्रथम दोषसिद्धी है। इसी के साथ यह मामला विरलतम श्रेणी में भी नहीं आता है। लिहाजा न्यूनतम दंड से दंडित किया जाए।
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