यूपी के बरेली में होली पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। यह रामलीला 163 सालों के इतिहास को समेटे हुए है। इस रामलीला का आयोजन इस बार 28 फरवरी से 19 मार्च के बीच होगा।
बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में फाल्गुन में होली पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। बरेली की यह रामलीला अपने भीतर 163 सालों के इतिहास को समेटे हुए है। यूनेस्को के द्वारा इसे 2015 में विश्व धरोहर घोषित किया गया था। इस रामलीला की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास रचित विनय पत्रिका के आधार पर फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी से शुरू होता है। यह चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को समाप्त होती है।
ब्रिटिश काल में 1861 में हुई थी शुरुआत
श्री रामलीला सभा ब्रह्मपुरी की ओर से आयोजित होने वाली यह रामलीला ब्रिटिश शासन काल में 1861 में शुरू हुई थी। उसके बाद से लगातार हर वर्ष यह आयोजन होता है। रामलीला के विभिन्न प्रसंगों का मंचन अलग-अलग मोहल्लों में किया जाता है। वहीं अगस्त्य मुनि से संबंधित लीला का मंचन छोटी बमनपुरी में स्थित अगस्त्य मुनी आश्रम में होता है। जबकि राम-केवट संवाद का मंचन साहूकारा में किया जाता है। इसी के साथ मेघनाद यज्ञ का मंचन बमनपुरी में और लंका दहन मलूकपुर चौराहे पर होता है।
रामलीला को विश्व धरोहर किया गया है घोषित
इस रामलीला की खास बात है कि इसमें क्षेत्रीय लोगों के द्वारा ही पात्रों की भूमिका को निभाया जाता है। रामलीला सभा के अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने इसे संरक्षित और संरक्षित रखने के उद्देश्य से विश्व धरोहर घोषित किया है। इस बार यह रामलीला 28 फरवरी से शुरू हो रही है और 19 मार्च को श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ यह संपूर्ण होगी। इस बीच 7 मार्च को राम की बारात भी निकाली जाएगी। वहीं बमनपुरी की इस रामलीला को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए समिति की युवा इकाई के अध्यक्ष गौरव सक्सेना ने संस्कृति विभाग उप्र शासन को पत्र भी लिखा। पत्र में कहा गया कि इस मंचन में संस्कृति और रचनात्मकता का समावेश होता है। इसे संग्रहित कर प्रचार प्रसार किया जाए जिससे लोग इससे रूबरू हो सकें।