
वाराणसी। काशी की धरती पर शुक्रवार का दिन गर्व, उपलब्धि और नई शुरुआत का साक्षी बना। बीएचयू के स्वतन्त्रता भवन में आयोजित 105वां दीक्षांत समारोह ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो परंपरा, आधुनिक शिक्षा और नए संकल्प एक ही मंच पर खड़े हों। हजारों विद्यार्थियों की आंखों में सपनों की चमक और परिवारों के चेहरों पर गर्व की मुस्कान इस समारोह को और भी खास बना रही थी।
समारोह की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. वी.के. सारस्वत, कुलपति प्रो. अजित चतुर्वेदी, रेक्टर और कुलसचिव द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर हुई। इसके बाद मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया गया।
कुलपति प्रो. अजित चतुर्वेदी ने छात्रों को सत्य, नैतिकता, सेवा और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि बीएचयू के विद्यार्थी जहां भी जाएं, अपने ज्ञान और संस्कृति से देश का गौरव बढ़ाएं।
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समारोह में इस वर्ष कुल 13,650 डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें शामिल हैं-
समारोह का सबसे खास क्षण मेधावियों को सम्मानित करने का रहा। कुल 29 टॉपरों को 33 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इस वर्ष भी छात्राओं ने शानदार प्रदर्शन किया-
विश्वविद्यालय ने बताया कि समारोह की लाइव स्ट्रीमिंग बीएचयू के यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर की गई, जिसे देश-विदेश में बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा।
समूचे विश्वविद्यालय में उत्साह का रंग नजर आया। स्नातकों ने शिक्षकों और साथियों के साथ इस दिन को यादगार बनाया। समारोह ज्ञान, परंपरा और नई शुरुआत का सुंदर संगम साबित हुआ।
समारोह में पहुंचे देश के प्रख्यात रक्षा वैज्ञानिक डॉ. वी.के. सारस्वत ने मीडिया से बातचीत में देश की सुरक्षा, मिसाइल तकनीक और आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र पर महत्वपूर्ण बातें कहीं। “हमारा एयर डिफेंस सिस्टम सक्षम, दिल्ली की रक्षा के लिए तैनात”
डॉ. सारस्वत ने आगे कहा-
उन्होंने कहा कि भारत की प्रोडक्शन एजेंसियां और रिसर्च संस्थान एयर डिफेंस सिस्टम बनाने में सक्षम हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
डॉ. सारस्वत ने बताया मिसाइल प्रोजेक्ट्स देश की सुरक्षा जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता पर लिए जाते हैं। अग्नि-5 पर्याप्त है और वर्तमान थ्रेट प्रोफाइल में बड़ा बदलाव नहीं है। अग्नि-6, 7 या 8 का निर्माण भविष्य की आवश्यकताओं के आधार पर होगा। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले दशक में कई टैक्टिकल मिसाइलें विकसित की हैं, जिनमें प्रलय, प्रहार, ब्रह्मोस (400 किमी रेंज) शामिल हैं।
डॉ. वी.के. सारस्वत भारतीय रक्षा अनुसंधान के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने पृथ्वी, धनुष, प्रहार और अग्नि-5, दो-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, INS अरिहंत, साइबर सुरक्षा ढांचा सुपर कंप्यूटिंग मिशन जैसी परियोजनाओं में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्हें पद्मश्री (1998) और पद्मभूषण (2013) से सम्मानित किया जा चुका है।
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