
लखनऊ। धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जनजातीय भागीदारी उत्सव आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में देशभर से आए जनजातीय समुदाय को अपनी कला, संस्कृति, शिल्प और खान-पान दिखाने के लिए यह बड़ा मंच दिया गया है। इस वर्ष अरुणाचल प्रदेश सहभागी राज्य के रूप में शामिल हो रहा है, जबकि देशभर की जनजातियों के पारंपरिक मुखौटों की प्रदर्शनी उत्सव का प्रमुख आकर्षण बनी हुई है। कार्यक्रम में जनजातीय कलाकारों को सम्मानित भी किया जाएगा।
सीएम योगी के नेतृत्व में आयोजित इस जनजातीय गौरव उत्सव में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, झांसी, ललितपुर सहित अन्य राज्यों से जनजातीय समुदाय के लोग हिस्सा ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश लोक जनजातीय संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि उत्सव का उद्देश्य जनजातीय समाज की कला, संस्कृति और खान-पान को मुख्यधारा से जोड़ना है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के तहत अरुणाचल प्रदेश इस वर्ष सहभागी राज्य है और यूपी की एक टीम भी 15 नवंबर से अरुणाचल प्रदेश में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेगी। पहली बार उड़ीसा की धूर्वा जनजाति भी उत्सव में शामिल हो रही है।
13 से 18 नवंबर तक चलने वाले इस उत्सव में जनजातीय शिल्प, वस्त्र, कलाकृतियों और व्यंजनों के स्टॉल लगाए गए हैं। हर दिन शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक जनजातीय लोक नृत्य और कला प्रस्तुतियाँ होंगी। ओडिशा का बरदोईशिखला, अरुणाचल प्रदेश का याक नृत्य, यूपी का मागणिहार गायन, उत्तराखंड का मांदरी और राजस्थान का नेवासी, कालबेलिया व सपेरा नृत्य विशेष आकर्षण रहेंगे। 17 नवंबर को बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित ‘धरती आब’ नाटक का मंचन होगा।
उत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण नेपाल, भूटान, तिब्बत, फिजी सहित भारत के विभिन्न राज्यों की जनजातियों के पारंपरिक मुखौटों की प्रदर्शनी है। ये मुखौटे जनजातीय समाज में धार्मिक परंपराओं, नृत्य और उत्सवों में उपयोग किए जाते हैं। कार्यक्रम में जनजातीय कला-कृतियाँ, शिल्प, रंगोली, माटीकला और आदिवासी साहित्य भी प्रदर्शित किए जा रहे हैं।
जनजातीय भागीदारी उत्सव का आयोजन जनजाति विकास विभाग, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजातीय संस्कृति संस्थान, संस्कृति और पर्यटन विभाग, टीआरआई यूपी, एनसीजेडसीसी, एनटीपीसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक के सहयोग से किया जा रहा है।
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