यूपी में अपनी ही सरकार के खिलाफ सत्ताधारी दल के विधायक 7 दिनों से धरना पर

उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी गठबंधन के भीतर भीतरघात की स्थिति पैदा हो गई है। विधायक विनय वर्मा ने पुलिस भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए एसपी को हटाने की मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया है, जिससे बीजेपी नेतृत्व में बेचैनी है।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 16, 2024 4:51 PM IST

Uttar Pradesh: यूपी सरकार के अंदरखाने में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है। बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल दलों के मंत्री से लेकर विधायक तक अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं। उधर, सुल्तानपुर में मंगेश यादव एनकाउंटर का मामले में पुलिस की किरकिरी हो ही रही थी कि अब शोहरतगढ़ के विधायक विनय वर्मा ने पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए अपनी सरकार के खिलाफ धरना पर हैं। सात दिनों से चल रहे इस धरना को खत्म कराने के लिए बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व बेचैन है। हालांकि, विधायक बिना सिद्धार्थनगर एसपी प्राची सिंह को हटाए अपना आंदोलन खत्म करने को राजी नहीं है।

क्यों धरना दे रहे हैं विधायक?

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अपना दल (एस) के नेता एवं शोहरतगढ़ क्षेत्र के विधायक विनय वर्मा ने बीते 10 सितंबर को सिद्धार्थनगर पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह के खिलाफ कई आरोप लगाते हुए धरना शुरू कर दिया था। वह पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एसपी को हटाने की मांग कर रहे हैं। विधायक ने जिला प्रशासन और पुलिस पर सहयोग न करने का भी आरोप लगाया।

धरना खत्म कराने के लिए बीजेपी नेता लगातार कर रहे कोशिश

विधायक विनय वर्मा के धरना शुरू करने के बाद क्षेत्र का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। सिद्धार्थनगर से लखनऊ तक राजनीति शुरू हो चुकी है। बीजेपी के स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश के नेता तक सहयोगी दल के विधायक को मनाने में जुटे हुए हैं। विधायक विनय वर्मा को धरना खत्म करने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी फोन कर उनसे बातचीत की लेकिन बात नहीं बनी। उधर, सत्ताधारी दल के विधायक का धरना शुरू करते ही समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार को घेरते हुए धरना का समर्थन कर दिया है। गृह जनपद में चल रहे धरना का नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने भी समर्थन कर लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस किया।

लेकिन अनुप्रिया ने साधी चुप्पी...

एक तरफ विधायक विनय वर्मा का धरना समाप्त कराने के लिए बीजेपी लगी हुई है तो दूसरी ओर उनके दल की नेता चुप्पी साधे हुए है। अपना दल (एस) की अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल अभी तक अपने इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हैं। दरअसल, अनुप्रिया पटेल भी पहले से ही योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती रही हैं। वह विश्वविद्यालयों में नॉट फाउंड एलिजिबिल के नाम पर आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग के लोगों से भरने को लेकर लेटर लिख चुकी हैं। 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में ओबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ पर भी वह आरक्षितों का हक छीनने की बात कह चुकी हैं।

विधायक के आरोपों की जांच आईजी बस्ती ने की

विधायक विनय वर्मा द्वारा सिद्धार्थनगर पुलिस पर लगाए गए आरोपों की जांच सरकार ने करवाई है। शासन के निर्देश पर आईजी बस्ती आरके भारद्वाज ने विधायक के आरोपों की जांच की है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट भी शासन को भेज दी है। हालांकि, रिपोर्ट का खुलासा नहीं हो सका है। उधर, एसपी प्राची सिंह ने कहा है कि विधायक अपनी शिकायत लिखित रूप से दिए रहते तो उनके आरोपों की जांच की जाती।

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