यूपी निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी ने अलीगढ़ में नया प्रयोग किया है। अलीगढ़ में भारी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा गया है। बीजेपी की इस पहल के बाद विपक्षी भी परेशान हैं।
अलीगढ़: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ में कई दौरे किए हैं। वहीं यूपी निकाय चुनाव में जब प्रत्याशियों का ऐलान हुआ तो सीएम के दौरों और अलीगढ़ की खास रणनीति को लेकर कई चीजें उजाकर हुई। मुस्लिम वोट के मद्देनजर बीजेपी ने अलीगढ़ को सियासी प्रयोगशाला बना दिया है। इसी के चलते अलीगढ़ में 90 में से 18 वार्डों में भाजपा की ओर से मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा गया है।
पूर्व की धारणा को तोड़ने की कवायद हुई शुरू
आपको बता दें कि यूपी में कई जगहों पर यह धारणा है कि मुस्लिम वोटरों का भाजपा के प्रति रुझान कम ही रहता है। हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा इस धारणा को तोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है। रिपोर्टस के अनुसार पहले भी कई बैठकों में इसको लेकर रणनीति तैयार की गई थी। उसके बाद गोरखपुर में जैसे मुस्लिम मतदाताओं का विश्वास जीतकर उन्हें भाजपा में लाकर कामयाबी हासिल की गई वैसी ही रणनीति अलीगढ़ के लिए भी बनाई जा रही है। इसी के चलते अलीगढ़ में सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा है।
निकाय चुनाव को माना जा रहा लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास
ज्ञात हो कि 2017 में हुए निकाय चुनाव में भाजपा ने अलीगढ़ में कुल 70 वार्डों में सिर्फ 2 मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारे थे। हालांकि इस बार 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर भाजपा ने सभी को चौंका दिया है। निकाय चुनाव को लेकर लोकसभा चुनावों का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है। इसी के चलते यह नया प्रयोग कर भाजपा ने लोगों का मन जानने का प्रयास किया है। सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली भाजपा को अक्सर टिकटों के ऐलान के बाद मुस्लिम उम्मीदवारों की कम संख्या को लेकर विपक्षियों के हमलों का सामना करना पड़ता था। हालांकि इस बार बीजेपी की इस दांव के आगे विपक्षी सोच में पड़ गए हैं।
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