प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद के दफ्तर से खून की छीटें, चाकू मिलने का मामला सामने आया। यहां पहले भी कैश और हथियार बरामद किया जा चुका है। हालांकि यहां पुलिस की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है।
प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद के दफ्तर में खून की छीटें, चाकू आदि चीजें मिलने के बाद पुलिस की टीम हैरान है। हालांकि अतीक के इस कार्यालय को लेकर पुलिस की लापरवाही खुलकर उजागर हो रही है। सोमवार को यहां पर खून की छीटें सीढ़ियों से लेकर छत तक पाई गईं। वहां पर एक दुपट्टा भी मिला जो की खून से सना हुआ था। इसी के साथ एक चाकू भी बरामद किया गया। हालांकि इसके बाद वहां पर क्राइम सीन को पुलिस टीम के द्वारा तत्काल सील नहीं किया गया। बड़े आराम से लोगों की आवाजाही वहां पर जारी रही। यह खून के धब्बे कितने पुराने हैं इस बारे में भी पुलिस टीम कुछ बोलने से इंकार कर रही है।
पीडीए के एक्शन के बाद से जारी है लापरवाही
अतीक के कार्यालय को लेकर पुलिस की लापरवाही पीडीए के एक्शन के बाद से जारी है। ज्ञात हो कि इस दफ्तर के अगले हिस्से को पहली बार बसपा सरकार में 2006 में गिराया गया था। उसके बाद भाजपा सरकार में 2020 में यहां पीडीए का बुलडोजर चला और आगे के हिस्से को गिराया गया। 21 सितंबर 2020 को यह एक्शन हुआ था। उस दौरान पीछे के हिस्से को छोड़ दिया गया था। आपको बता दें कि उमेश पाल की हत्या के बाद जब पुलिस की टीम ने इस पीछे के हिस्से में छापेमारी की तो यहां से 72 लाख से अधिक कैश, कई गन, कारतूस और मोबाइल फोन बरामद हुए थे। हालांकि उसके बाद भी इस जगह को न ही सील किया गया न ही यहां पर किसी पुलिसकर्मी की तैनाती की गई।
क्राइम सीन को भी नहीं किया गया सील
अतीक के इस कार्यालय पर बड़े आराम से लोगों की आवाजाही जारी रही और कई मीडिया रिपोर्टस में भी उसके कार्यालय को अंदर से दिखाया गया। इसी के बाद 24 अप्रैल 2023 को यहां से पुलिस को खून की छीटें, खून से सना दुपट्टा और चाकू बरामद हुआ। हैरान करने वाली बात है कि उसके बाद भी यहां क्राइम सीन तो तत्काल सील करने के बजाए पुलिस की टीम खून की छीटों की फोटोग्राफी में ही व्यस्त रही।
तमाम दस्तावेज भी पुलिस ने नहीं किए सील
अतीक के दफ्तर में तमाम दस्तावेज अलमारी और अन्य जगहों पर रखे थे। हालांकि उमेश पाल हत्याकांड और कैश बरामदगी के बाद भी इन दस्तावेजों को पुलिस ने अपने कब्जे में नहीं लिया। जबकि इन दस्तावेजों से कई अहम सबूत और जानकारी पुलिस के हाथ लग सकती थी। हालांकि कार्यालय की तमाम फाइलों और अन्य चीजों को वैसे ही छोड़े रखा गया। आपको बता दें कि यह वही दफ्तर है जिसमें 2006 में उमेश पाल को किडनैप कर 3 दिनों तक रखा गया था। उमेश ने शिकायत में भी बताया था कि यह दफ्तर अतीक के आर्थिक साम्राज्य का अहम हिस्सा है।