
कभी ‘बीमारू राज्य’ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश ने अब आर्थिक मोर्चे पर ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिस पर पूरा देश ध्यान दे रहा है। भारत के महालेखाकार (सीएजी) की ताज़ा रिपोर्ट में यूपी को उन 16 राज्यों की सूची में सबसे ऊपर बताया गया है, जो राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) में हैं। प्रदेश ने वित्त वर्ष 2023 में ₹37,000 करोड़ का रेवेन्यू सरप्लस दर्ज किया है। यह उपलब्धि दिखाती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों और डबल इंजन की सरकार की योजनाओं ने न केवल यूपी की वित्तीय सेहत सुधारी है बल्कि इसे एक अनुकरणीय उदाहरण भी बनाया है।
सीएजी रिपोर्ट बताती है कि यूपी के बाद गुजरात, ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी अधिशेष में हैं। इनमें से अधिकतर पर भाजपा का शासन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूर्वोत्तर के कई छोटे राज्य—जैसे अरुणाचल, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम—भी अधिशेष में शामिल हैं।
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जहां यूपी जैसे राज्य अधिशेष में हैं, वहीं आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे 12 राज्य अब भी घाटे से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों की आमदनी उनकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है और इन्हें केंद्र से मिलने वाले अनुदान पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
सीएजी रिपोर्ट ने विशेष रूप से यूपी की वित्तीय उपलब्धियों को रेखांकित किया है।
यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताती है कि कभी पिछड़ेपन और आर्थिक संकट की पहचान बना यूपी अब निवेश और विकास का केंद्र बनता जा रहा है। डबल इंजन की सरकार ने राजस्व संग्रह, बजट प्रबंधन और आर्थिक सुधारों के जरिए जो नतीजे दिए हैं, उन्होंने यूपी की छवि को ‘बीमारू’ से ‘बेमिसाल’ बना दिया है।
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