
Changur Baba conversion case: बलरामपुर और बहराइच के गांवों में लोग उसे बाबा मानते थे। दुआओं के लिए लोग झोली फैलाते थे और वो ‘शांति’ और ‘सुकून’ का वादा करता था। लेकिन असल में छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन जो कर रहा था, वो किसी गैंग की प्लानिंग से कम नहीं था।
जैसे-जैसे जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू किया, वैसे-वैसे पता चला कि ये मामला सिर्फ धर्मांतरण या विदेश से फंडिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां असली खेल था लोगों के दिमाग से खेलने का।
छांगुर बाबा ने जिस 'शिजरा-ए-तय्यबा' किताब के जरिए लोगों को जोड़ना शुरू किया, वो कोई धार्मिक किताब नहीं, बल्कि एक तरह का माइंड मैप था। इसका इस्तेमाल वो गरीब, दलित और महिलाओं के मन में ‘कमी’ और ‘असंतोष’ का बीज बोने के लिए करता था।
जो भी भावनात्मक या सामाजिक रूप से कमजोर दिखता, उसे "बदलाव" का विकल्प बताया जाता, और यही से धर्मांतरण की शुरुआत होती थी। कोई जबरदस्ती नहीं थी, लेकिन जो हुआ वो गहरी प्लानिंग थी।
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सबसे चौंकाने वाला हिस्सा है बाबा का करीबी अब्दुल मोहम्मद राजा। एटीएस को मिले इनपुट के मुताबिक अब्दुल ने 'कैसे लड़की को धीरे-धीरे प्रभावित किया जाए', इसकी बाकायदा ट्रेनिंग दी। मोहब्बत को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया गया, ताकि लड़की अपने परिवार, धर्म और समाज से खुद कट जाए। इसमें खास टारगेट वो लड़कियां थीं, जो घरों में अकेली रहती थीं या पढ़ाई-नौकरी के लिए बाहर आई थीं।
ईडी को पता चला है कि बाबा ने 40 से ज़्यादा एनजीओ बनवाए और इनके नाम से करीब 100 बैंक अकाउंट खुलवाए। ज्यादातर अकाउंट में फंड मिडिल ईस्ट और खाड़ी देशों से आया। जो बात चौंकाने वाली है, वो ये कि ये सारा काम खुलेआम होता रहा, और किसी को शक तक नहीं हुआ। सवाल ये नहीं कि पैसा आया, सवाल ये है कि इतनी लंबी प्लानिंग कैसे चली और किसी सरकारी सिस्टम को भनक तक नहीं लगी?
बाबा का करीबी नवीन रोहरा अब जांच के केंद्र में है। उसके खातों में भी करोड़ों की विदेशी रकम ट्रांसफर हुई, और वह हाल ही में दुबई से लौटकर ज़मीन खरीदने में जुटा था। सूत्रों के अनुसार, उसका खाता स्विस बैंक में भी है और अब इंटरनेशनल एजेंसियों की मदद से उसकी जांच हो रही है।
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