
Uttar Pradesh Conversion Case: उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण कराने वाले छांगुर बाबा गिरोह का जाल अब धीरे-धीरे खुल रहा है। महिलाओं से लेकर धर्मगुरुओं तक और कोर्टकर्मियों से लेकर खाड़ी देशों तक फैले इस नेटवर्क ने पुलिस-प्रशासन को भी चौंका दिया है। मेरठ, बरेली, लखनऊ, बलरामपुर, अलीगढ़ और कोलकाता जैसे शहर इस गिरोह की गतिविधियों से अछूते नहीं रहे। अब एक पुराना मामला फिर चर्चा में है, छह साल पहले अगवा की गई युवती को लेकर सिविल लाइन पुलिस ने आखिरकार रिपोर्ट दर्ज की है।
इस पूरे नेटवर्क की एक अहम कड़ी है नीतू उर्फ नसरीन, जिसकी शुरुआत तमिलनाडु से होती है। वहां उसने सीए की पढ़ाई की, फिर लंदन और दुबई में जॉब की। यहीं उसकी मुलाकात नवीन रोहरा से हुई -दोनों सिंधी परिवार से थे और शादी भी हो गई। लेकिन नवीन एक वित्तीय घोटाले में फंस गया और यहीं से दोनों छांगुर बाबा के संपर्क में आ गए। दुबई में ही नवीन का धर्मांतरण हुआ और नसरीन ने इस नेटवर्क का अहम हिस्सा बनना शुरू कर दिया।
बलरामपुर के उतरौला में बसने के बाद नसरीन की पहचान "केवल 7वीं पास" के तौर पर दर्ज की गई, लेकिन उसकी अंग्रेज़ी और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग से यह दावा संदिग्ध लगता है।
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साल 2019 में मेरठ में हिंदू युवती के अपहरण और जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आया था। लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी अब्दुल रहमान सिद्दीकी ने एफआईआर दर्ज नहीं की। अब, पीड़िता के परिजनों द्वारा एसएसपी कार्यालय पर हंगामे के बाद पुलिस हरकत में आई है। बदर अख्तर सिद्दीकी और उसके पिता महमूद अख्तर के खिलाफ अब मुकदमा दर्ज किया गया है।
एफआईआर में आरोप है कि बदर ने पीड़िता से निकाह किया, मारपीट की और बार-बार धमकाया। इस मामले में पुलिस कप्तान डॉ. विपिन ताड़ा के निर्देश पर तत्काल कार्रवाई हुई और अब पूर्व थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है।
जांच में यह सामने आया है कि छांगुर की सांठगांठ कम से कम 50 लोगों से थी। इनमें से 23 लोग स्थानीय हैं, जिनमें ग्राम प्रधान, पूर्व प्रधान, कोर्ट स्टाफ और उनके रिश्तेदार तक शामिल हैं। छांगुर अपनी अवैध कमाई का हिस्सा इन लोगों में बांटता था ताकि उसकी गतिविधियां बेरोकटोक चलती रहें। जांच एजेंसियां अब इन नामों की पुष्टि कर रही हैं।
छांगुर की खाड़ी देशों में गहरी पहुंच थी। वह वहीं से विदेशी फंडिंग लेकर यूपी के अलग-अलग जिलों में जमीनों की खरीद-फरोख्त करता था। उसने अपने करीबियों को 50 करोड़ रुपये तक की जमीन सौंपने की छूट दी थी। कुछ सौदे केवल जुबानी थे, लेकिन पैसे का लेनदेन पूरा हो चुका था। इतना ही नहीं, वह अपराधियों के जमानत खर्च भी उठाता था, खासकर एक खास समुदाय से जुड़े लोगों के।
नेपाल सीमा से सटे अवैध मदरसों पर यूपी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई ने छांगुर को बौखला दिया था। ये वही मदरसे थे, जिनकी आड़ में वह अपने धर्मांतरण गिरोह के लोगों को छुपाता था। लेकिन जब इन्हें निशाना बनाया गया, तो छांगुर को अपने ही घर में इन्हें पनाह देनी पड़ी। इसी वजह से उसके घर पर गतिविधियां बढ़ीं और जांच एजेंसियों की नजर में वह आ गया।
छांगुर अवैध मदरसों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल करता था और अपने नेटवर्क के लोगों को “इस्लामिक स्कॉलर” बताकर वहां रुकवाता था। योगी सरकार की कार्रवाई के बाद उसे नया ठिकाना नहीं मिला, और यहीं से पूरे गिरोह के खिलाफ कसे जाने की शुरुआत हुई।
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