CM Yogi Adityanath Birthday: बीजेपी के फायरब्रांड प्रचारक से लेकर सीएम तक, जानिए 10 खास बातें पाइंट्स में

CM Yogi Adityanath Birthday: साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिली तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि उत्तर प्रदेश के अगले सीएम योगी आदित्यनाथ होंगे। उनकी पहचान हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता के रूप में जरुर थी।

Rajkumar Upadhyay | Published : Jun 4, 2023 1:43 PM IST / Updated: Jun 04 2023, 07:22 PM IST

CM Yogi Adityanath Birthday: साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिली तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि उत्तर प्रदेश के अगले सीएम योगी आदित्यनाथ होंगे। उनकी पहचान हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता के रूप में जरुर थी। पर उन्हें तब तक यूपी के सीएम की कुर्सी का दावेदार नहीं माना जा रहा था। हालांकि उन्होंने चुनाव में प्रदेश भर में धुआंधार कैम्पेन किया था। जम्मू—कश्मीर के मौजूदा एलजी मनोज सिन्हा को सीएम बनाए जाने की अटकलें चल रही थीं। पर अचानक बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने का फैसला लिया और 19 मार्च 2017 की वह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई, जब उन्होंने पहली बार यूपी के सीएम पद की शपथ ली।

1.महंत अवेद्यनाथ के चुनाव प्रबंधन की योगी आदित्यनाथ ने संभाली थी कमान

साल 1996 लोकसभा चुनाव में गोरखपुर सीट से गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ चुनाव मैदान में उतरे तो उन्होंने चुनाव प्रबंधन और संचालन की पूरी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। उस समय योगी ने एक-एक बूथ का माइक्रो स्तर पर प्रबंधन किया। उससे लोग प्रभावित हुए। महंत अवेद्यनाथ की भी चुनाव में भारी मतों से जीत हुई। उसके बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ को अपना सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया।

2. अंतिम व्यक्ति तक की समस्या सुनते थे योगी आदित्यनाथ

महंत अवेद्यनाथ सुबह 10 बजे से दोपहर तक लोगों की समस्याएं सुनते थे। उनकी अनुपस्थिति में योगी आदित्यनाथ सुबह 10 बजे से लोगों की समस्याएं सुनते थे और तब तक बैठे रहते थे, जब तक अंतिम व्यक्ति की समस्याओं का निराकरण नहीं निकाल लेते थे।

3. सबसे कम उम्र के सांसद बने योगी आदित्यनाथ

साल 1998 लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ बीजेपी से चुनाव लड़े और गोरखपुर से सबसे कम उम्र के सांसद बने। उस समय उनकी उम्र 26 वर्ष थी। 26 हजार मतों से जीतकर वह 12वीं लोकसभा के सबसे युवा सांसद बने थे।

4.साल 1999 में विरोधियों को योगी आदित्यनाथ ने दी मात

फिर साल 1999 में आम चुनाव हुए, क्योंकि मात्र एक वोट से अटल बिहार बाजपेयी की सरकार गिर गई थी। उन चुनावों में भी विरोधियों ने योगी आदित्यनाथ का विजय रथ रोकने की बहुत कोशिश की, पर उन्हें मुंह की खानी पड़ी और सीएम योगी एक बार फिर गोरखपुर सीट से संसद पहुंचे।

5. 2002 में योगी आदित्यनाथ ने किया हिंदू युवा वाहिनी का गठन

योगी आदित्यनाथ ने साल 2002 में हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया। इसका मकसद हिंदुओं के सामाजिक और सांस्कृतिक हितों की रक्षा करना था। इस दौरान उनके विरोधियों ने उन्हें मात देने की बहुत कोशिशें की, पर वह कभी सफल नहीं सके। ​योगी आदित्यनाथ फिर साल 2004 में गोरखपुर से तीसरी बार संसद सदस्य बने। 2009 में 2 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से उन्हें जीत मिली थी और फिर 2014 में वह पांचवीं बार सांसद बनें।

6. 2014 में योगी आदित्यनाथ बने महंत

12 दिसम्बर 2014 को महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के दो दिन बाद योगी आदित्यनाथ को गोरक्षनाथ मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।

7. गोरखपुर के इस केस को भी किया जाता है याद

साल 2007 में एक समर्थक की हत्या के बाद गोरखपुर शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। उस समय योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए थे। तब उन्होंने जेल से ही लोगों से हिंसा न करने की अपील की। उसके बाद लोग शांत हुए थे। गाहे—बेगाहे इस मामले को आज भी याद किया जाता है।

8. आजमगढ़ में योगी आदित्यनाथ पर हुआ था हमला

सितम्बर 2008 में आजमगढ़ में हुए एक हमले में योगी आदित्यनाथ बाल बाल बचे थे। उनके काफिले को सैकड़ों लोगों ने चारो तरफ से घेर कर हमला किया गया था। उसके बाद भी उन्होंने डीएवी कॉलेज में आयोजित जनसभा को संबोधित किया था।

9. 2017 में योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर में किया प्रचार

बीजेपी नेतृत्व ने साल 2017 के विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ को पूरे प्रदेश में प्रचार का जिम्मा सौंपा था। दिन भर में होने वाली 7 से 8 चुनावी जनसभाओं में काफी भीड़ उमड़ती थी। उससे बीजेपी को ऊर्जा मिली। नतीजों में भी विधानसभा में पूर्ण बहुमत मिला।

10. ऐसे पता चला कि बनेंगे सीएम

विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी तत्कालीन सांसद सीएम योगी को यह नहीं पता था कि वह यूपी के सीएम बनेंगे। विदेश जा रहे सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल में उनका नाम था। वह अपनी विदेश यात्रा की तैयारियों में जुटे हुए थे कि तभी तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का फोन आया और वह रूक गए। उसके बाद हुई विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुना गया।

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