
लखनऊ। विश्व दिव्यांग दिवस पर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी व्यक्ति की शारीरिक सीमाएं उसकी प्रतिभा का निर्धारण नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा कि वास्तविक शक्ति मन, संकल्प और आत्मबल में होती है। हर व्यक्ति ईश्वरीय कृति है और समाज को दिव्यांगजन को सम्मान व संबल देकर मुख्यधारा से जोड़ने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अष्टावक्र ऋषि और संत सूरदास का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां दिव्यांगजनों ने अवसर मिलने पर असंभव को संभव किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं दिव्यांगजनों के लिए एक मजबूत मंच बना रही हैं जिससे वे समाज में अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन कर सकें।
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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि परिवार या समाज में उपेक्षा मिलने से दिव्यांगजनों के मन में कुंठा पनपती है, जबकि थोड़ा सा सहयोग और विश्वास उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की नई दिशा देता है। उन्होंने यूपी सरकार के अधिकारियों के उदाहरण दिए, एक पैरालंपिक मेडलिस्ट आज युवा कल्याण विभाग का नेतृत्व कर रहे हैं और चित्रकूट के मंडलायुक्त दृष्टिबाधित होते हुए भी उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यूपी में दिव्यांग पेंशन को 300 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है और लाभार्थियों की संख्या 8 लाख से बढ़कर 11 लाख से अधिक हो चुकी है। सार्वजनिक स्थानों को बैरियर-फ्री बनाया जा रहा है और सरकारी सेवाओं में 4 प्रतिशत तथा शिक्षण संस्थानों में 5 प्रतिशत आरक्षण लागू है।
उन्होंने जानकारी दी कि
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें दिव्यांगजनों के लिए सेवाओं और अवसरों को और अधिक विस्तार देने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं।
कार्यक्रम में दिव्यांग खिलाड़ियों, कर्मचारियों, संस्थाओं और उत्कृष्ट कार्य करने वालों को राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने दिव्यांग विद्यार्थियों से संवाद करते हुए उपहार भी वितरित किए और उनके साथ सेल्फी खिंचवाई।
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