उमेश पाल अपहरण के मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अतीक अशरफ समेत 10 आरोपियों को दोषी करार दिया। दोनों को नैनी जेल से कोर्ट लाने के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रहेगी।
प्रयागराज: उमेश पाल अपहरण के मामले में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट 28 मार्च को अपना फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौक-चौबंद रही। कोर्ट ने इस मामले में अतीक समेत 3 आरोपियों को दोषी करार दिया है। जबकि अशरफ समेत 7 लोगों को दोषमुक्त करार दिया गया। 17 साल पुराने इस मामले में फैसले का इंतजार लगातार किया जा रहा था।
अतीक के वकील ने हाईकोर्ट में अपील करने की कही बात
कोर्ट का फैसला आने और अतीक अहमद को दोषी करार दिए जाने के बाद अतीक के पक्ष के वकील ने कहा कि वह इस मामले में हाईकोर्ट में जाकर अपील करेंगे।
उमेश पाल की मां ने की फांसी की मांग
उमेश पाल अपहरण के मामले में अतीक के खिलाफ उम्रकैद की सजा का ऐलान होने के बाद उनकी मां ने बेटे की हत्या के मामले में फांसी की मांग की है। उनका कहना है कि अतीक अहमद ने सरेआम उनके वकील बेटे और 2 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा उस मामले में उसे फांसी की सजा मिला। उन्होंने सीएम योगी से भी न्याय की गुहार लगाई है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि अतीक को उम्रकैद की सजा जरूर मिली है लेकिन उसे जेल में तमाम तरह की सुविधाएं मिल जाती है। लिहाजा उसे उमेश पाल हत्याकांड मामले में फांसी की ही सजा दी जाए।
अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा
कोर्ट ने अतीक अहमद को उमेश पाल अपहरण मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसी के साथ एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में अतीक समेत तीन लोगों को ही दोषी करार दिया गया है। जबकि अशरफ समेत 7 आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए हैं।
अतीक अहमद को फांसी देने के लिए हुई नारेबाजी
अतीक अहमद को दोषी करार दिए जाने के बाद अधिवक्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। अधिवक्ताओं का कहना था कि उमेश के हत्यारों को फांसी दी जाए।
कोर्ट पहुंचा अतीक और अशरफ का काफिला, सीधे गेट के अंदर हुई एंट्री
अतीक अहमद और अशरफ को कड़ी सुरक्षा के बीच में कोर्ट परिसर में पहुंचा दिया गया है। इस बीच गेट के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी देखी गई। कई थानों की फोर्स इस बीच वहां पर मौजूद नजर आई।
कोर्ट में जूते की माला लेकर पहुंचे अधिवक्ता
उमेश पाल अपहरण मामले में फैसला आने से पहले अधिवक्ता वहां पर जूते की माला लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जिस तरह के अतीक अहमद के इशारे पर उमेश पाल की हत्या की गई उसके बाद वह चाहते हैं कि अतीक अहमद को जूतों की माला पहनाया जाए।
कोर्ट में मौजूद रहने वाले अधिवक्ताओं की लिस्ट जारी
अतीक के फैसले से पहले स्पेशल कोर्ट के द्वारा 19 अधिवक्ताओं की लिस्ट जारी की गई है। फैसले के दौरान यह अधिवक्ता ही कोर्ट रूम में मौजूद रहेंगे।
जेल मंत्री ने कहा 2 दिन पहले ही कर ली थी व्यवस्था
जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि हमने 2 दिन पहले ही जेल में व्यवस्था कर ली थी। वहां हमने DIG को भी भेजा था। निरंतर 24 घंटे वहां(नैनी जेल) निगरानी हो रही है और जेल को मुख्यालय से भी जोड़ा गया है। कोई समस्या नहीं है।
कड़ी सुरक्षा के बीच अतीक और अशरफ का काफिला हुआ था रवाना
नैनी जेल से तकरीबन पौने बारह बजे अतीक अहमद और अशरफ को कोर्ट के लिए रवाना किया गया। अलग-अलग प्रिजन वैन में दोनों को लेकर पुलिस की टीम कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट तक पहुंची। इस बीच रास्ते में भी रूट डायवर्जन समेत तमाम तरह के इंतजाम देखने को मिला। पुलिस ने माफिया को कोर्ट तक पहुंचाने के दौरान खासा ध्यान रखा कि कोई भी अव्यवस्था न हो। इसी के चलते माफिया को किस गाड़ी से ले जाया जा रहा है और उसका रूट क्या होगा इसकी जानकारी भी किसी से साझा नहीं की गई।
उमेश की पत्नी और मां ने अतीक अहमद के लिए की फांसी की मांग
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने कोर्ट के फैसले से पहले कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि अतीक अहमद को फांसी की सजा दिलाई जाए। जब तक जड़ खत्म नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो पाएगा। हम सभी लोग डर के साए में जी रहे हैं। आपको बता दें कि उमेश पाल के आवास के बाहर पुलिस भी तैनात की गई है। वहीं उमेश पाल की मां शांति देवी ने कहा कि मेरे बेटे ने संघर्ष किया है। जेल अतीक अहमद का घर है और वह वहां से कुछ भी करवा सकता है। प्रशासन के द्वारा अभी तक जो किया गया है हम उससे संतुष्ट हैं और आगे मांग करते हैं कि अतीक को फांसी की ही सजा दी जाए।
आरोपी अंसार बाबा की हो चुकी है मौत
इस मामले में आरोपी अंसार बाबा की मौत हो चुकी है। कोर्ट के आदेश पर शेष आरोपियों को अदालत में पेश किया गया। वहीं इस मामले को लेकर कचहरी परिसर में सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद नजर आई। 5 जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, दिनेश पालसी, अंसार बाबा, खान सौकत के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। आरोप था कि विधायक राजू पाल हत्याकांड मामले में बयान अपने पक्ष में दर्ज करवाने के लिए उमेश पाल का अपहरण किया गया था।
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