नवरात्रि पर दुर्गासप्तशती और रामनवमी पर रामायण पाठ: महंत राजू दास बोले- पहले नेता पीछे के दरवाजे से जाते थे मंदिर और बाहर आते ही मिटा देते थे टीका

नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती और रामनवमी पर रामायण के पाठ के सरकार के फैसले का स्वागत महंत राजू दास के द्वारा किया गया। सपा ने भी इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन सवाल खड़ा किया है कि इतनी कम रकम से क्या होगा।

Contributor Asianet | Published : Mar 15, 2023 6:28 AM IST / Updated: Mar 15 2023, 03:56 PM IST

लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिंदू नववर्ष और नवरात्रि के मौके पर प्रदेश के सभी मंदिरों में अखंड रामायण पाठ और दुर्गा सप्तशती का पाठ कराए जाने के फैसले का संत समजा की ओर से स्वागत किया जा रहा है। हालांकि कई जगहों से इसका विरोध भी देखने को मिल रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर लिखा कि जिलाधिकारियों को 1 लाख रुपए दिए जाने के प्रस्ताव का स्वागत है। लेकिन इनती कम रकम से क्या होगा। कम से कम 10 करोड़ रुपए होने चाहिए, जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके।

'पहले डरकर मंदिर जाते थे लोग और बाहर निकलकर मिटा देते थे टीका'

अयोध्या हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने भी एशियानेट न्यूज हिंदी से बातचीत कर सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि 'इस फैसले के लिए सरकार का आभार है। मंदिर में पूजा पाठ होते रहते हैं लेकिन इस तरह के आयोजन में सरकार के लोग शामिल हो और राजनेता शामिल हो यह अच्छी पहल है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती और रामनवमी का रामायण के पाठ से पॉजिटिव माहौल होगा। मंदिर में तो रोजाना इस तरह के आयोजन होते हैं लेकिन पहले इन आयोजन में सरकार की सहभागिता पहले नहीं होती थी। पहले सरकार सिर्फ एक कौम, एक मजहब, एक संप्रदाय के लिए काम करती थी। पूर्ववर्ती सरकार की मानसिकता आप समझ सकते हैं। पहले लोग मंदिर जाने से डरते थे। चोरी से पीछे दरवाजे से मंदिर जाते थे और गेट पर आते ही टीका मिटा देते थे। अब पीएम के मंदिर जाने की फोटोकॉपी तमाम नेता हो गए हैं। पहले जो लोग भगवान राम की जन्मभूमि के खिलाफ वकीलों की फौज खड़ी कर देते थे वह अब मंदिर-मंदिर जा रहे हैं। डर से भी जिन लोगों ने परिवर्तन आया उसे देखकर भी अच्छा लगा। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर जो जिले को मिलने वाली राशि बढ़ाने की बात कही गई वह तंज है। उनकी स्वामी प्रसाद मौर्य पर कोई लगाम नहीं है।' उन्होंने कहा कि पहले सरकारी पैसे से रोजा इफ्तारी, हज यात्रा और मजारों की बाउंड्रीवाल होती थी तब किसी को दिक्कत नहीं थी। लेकिन अब जब मंदिरों में आयोजन के लिए जनपद को एक लाख की बात कही गई तो लोगों को परेशानी हो रही है।

'त्योहारों के रंग पड़ गए फीके, सरकार महंगाई पर भी दे ध्यान'

सपा प्रवक्ता जेबा यास्मीन ने भी सरकार की ओर से एक लाख रुपए दिए जाने के फैसले का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया कि इतने कम पैसे से क्या होगा? त्योहारों के रंग इन दिनों फीके पड़ गए हैं महंगाई के चलते लोगों को त्योहार मनाने में भी दिक्कत आ रही है। बीते दिनों जिस तरह से सिलेंडर के दाम बढ़ाए गए उससे लोग परेशान हैं। उप्र की सरकार की सरकार यदि इन समस्याओं को हल करेगी तो हर दिन एक उत्सव और त्योहार होगा।

मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए दिया गया निर्देश

गौरतलब है कि संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव मुकेश मेश्राम ने 10 मार्च को आदेश में कहा कि चैत्र की नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसी के चलते इस दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। महिलाओं और युवतियों की भागीदारी तय कर मंदिरों और शक्तिपीठों ने दुर्गा सप्तशती, देवी गान और देवी जागरणों का आयोजन किया जाए। इसी के साथ रामनवमी पर अखंड रामायण का पाठ भी हो। इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक, तहसील और जिले के स्तर पर आयोजन समिति के गठन को लेकर भी आदेश दिया है। इसी के साथ सभी जनपदों को इन आयोजनों के लिए एक-एक लाख रुपए की धनराशि दिए जाने की बात भी कही गई है।

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