ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट 2023 ने बदला यूपी का माहौल, जानिए अब क्या है सरकार के सामने बड़ी चुनौती

यूपी की राजधानी लखनऊ में हुए ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर MoU साइन हुए हैं। इससे करीब 94 लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान जताया जा रहा है। MoU के धरातल पर उतरने से यूपी की तस्वीर बदल जाएगी।

लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित हुए UP GIS 2023 में 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों और 94 लाख लोगों को रोजगार मिलने का दावा किया गया है। बता दें कि यह वादा कर सरकार ने प्रदेश का माहौल बदलने की कोशिश की है। समिट के आयोजन से न सिर्फ शहर की फिजा बदली है, बल्कि प्रदेश में शूद्र व पिछड़े की राजनीति से गरमाया माहौल निवेश और रोजगार की फिजा में बदला है। वहीं इस माहौल को 2024 लोकसभा चुनाव तक बरकरार रख पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। यूपी सरकार ने जीआईएस की तैयारी के साथ ही 11.25 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा था।

1 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद

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बता दें कि 16 देशों के 21 शहरों में रोड शो के दौरान 7.12 लाख करोड़ रुपये के निवेश एमओयू साइन हुए थे। जिससे सरकार का उत्साह बढ़ा और इस लक्ष्य को बढ़ाकर 17.13 लाख करोड़ रुपये किया। वहीं रविवार को समिट के समापन तक 33.50 लाख करोड़ रुपये निवेश के एमओयू साइन हुए हैं। यह संसोधित लक्ष्य से करीब दोगुना है। देश-विदेश के 15 हजार से अधिक उद्यमियों और निवेशकों से इतने बड़े निवेश पर एमओयू साइन होने और करीब 1 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद से माहौल में बदलाव आया है। अब यूपी में होने वाले निवेश और उससे पैदा होने वाले रोजगार की चर्चाएं की जा रही हैं। इस समिट से युवा वर्ग में अधिक उम्मीद जगी है।

समिट के आयोजन में झोंकी पूरी ताकत

वहीं प्रदेश के MSME उद्यमियों से लेकर छोटे दुकानदारों और परंपरागत उद्योगों से जुड़े कारीगरों और हस्त शिल्पियों, कुशल और अकुशल श्रमिकों को भी आने वाले दिनों में रोजगार की उम्मीद जगी है। समिट के बाद से केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक युवा आबादी को साधने की कोशिश कर रही है। वहीं उत्तर प्रदेश में इतने बड़े समिट का सफलतापूर्वक आयोजन होना इतना भी आसान नहीं था। बीते 6 महीने से योगी सरकार के अलावा देश-दुनिया के विभिन्न व्यापारिक, औद्योगिक संगठनों ने भी इस समिट के आयोजन में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। बता दें कि समिट के दौरान हुए एमओयू को धरातल पर उतारना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

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