गंगा घाट पर पकड़ा गया ‘प्लास्टिक का शव’, 50 लाख की धोखाधड़ी का राज खुला

Published : Nov 28, 2025, 05:36 PM IST
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सार

हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर गंगा घाट पर नकली शव का अंतिम संस्कार करते पकड़े गए दो आरोपी. प्लास्टिक के पुतले से 50 लाख की बीमा धोखाधड़ी का खुलासा. मृत घोषित किया गया युवक प्रयागराज में जीवित मिला. पुलिस ने कार जब्त कर केस दर्ज किया.

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर गंगा घाट पर बुधवार को एक ऐसा नज़ारा सामने आया जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को हैरान कर दिया। शांत माहौल में अंतिम संस्कार जैसा दिखने वाला एक अनुष्ठान अचानक तब हड़कंप में बदल गया, जब लोगों ने देखा कि चिता पर रखा तथाकथित शव इंसान का नहीं, बल्कि प्लास्टिक का एक पुतला था।

कुछ ही मिनटों में भीड़ इकट्ठा हो गई, विरोध शुरू हो गया और मौके पर मौजूद चार में से दो युवकों को स्थानीय लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। बाकी दो मौके से फरार हो गए।

हड़बड़ी ने बढ़ाया शक, प्लास्टिक का पुतला देखकर भड़की भीड़

जानकारी के मुताबिक, चार युवक हरियाणा नंबर की i20 कार में घाट पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि वे एक शव का अंतिम संस्कार करने आए हैं, लेकिन गंगा घाट पर होने वाली पारंपरिक रस्मों में से एक भी उन्होंने पूरी नहीं की। चिता तैयार होते ही उन्होंने कपड़े में लिपटे तथाकथित शव को जल्दी-जल्दी वहां रख दिया।

स्थानीय लोगों में यह जल्दबाजी शक का कारण बनी। जब कुछ लोगों ने चादर हटाकर देखा, तो सभी दंग रह गए। अंदर एक सील किया हुआ प्लास्टिक का पुतला रखा था, जिसे बिल्कुल शव की तरह तैयार किया गया था। लोगों ने तुरंत दो युवकों को पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी। शुरुआती शक बीमा धोखाधड़ी या किसी की मौत को फर्जी तरीके से दिखाने की कोशिश पर गया।

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पुलिस पहुंची तो शुरू हुआ झूठ का खेल, पर टिक नहीं पाया

पुलिस के पहुंचने पर पकड़े गए युवकों ने पहले अजीबोगरीब बहाना बनाया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के एक अस्पताल ने उन्हें असली शव की जगह गलती से डमी दे दी। लेकिन पूछताछ बढ़ी तो उनके बयान आपस में ही उलझने लगे। पुलिस उन्हें थाने ले गई, जहां थोड़ी सख्ती के बाद पूरा सच सामने आ गया।

50 लाख के बीमा घोटाले की परतें खुलीं, आरोपी ने किया कबूलनामा

सर्किल ऑफिसर गढ़, स्तुति सिंह के अनुसार, पूछताछ में आरोपी कमल सोनी और उसके साथी आशीष खुराना ने बड़ा खुलासा किया।दिल्ली के पालम निवासी कमल पर 50 लाख रुपये से अधिक का कर्ज था। इसी से बचने के लिए उसने एक साल पहले अपने पूर्व कर्मचारी अंशुल कुमार के आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल कर उसके नाम पर 50 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी खरीद ली।

उसने नियमित रूप से प्रीमियम भी भरा। योजना यह थी कि प्लास्टिक के पुतले को शव की तरह जलाकर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया जाए और फिर बीमा कंपनी से 50 लाख रुपये का क्लेम ले लिया जाए। अगर पुतला न मिलता, तो यह घोटाला सफल भी हो सकता था।

जब ‘मरा हुआ आदमी’ जिंदा मिला

घटना की वास्तविकता की पुष्टि के लिए पुलिस ने अंशुल से संपर्क किया, जो अपने घर प्रयागराज से पूरी तरह स्वस्थ होने की जानकारी दे रहा था। उसने बताया कि उसे किसी पॉलिसी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। कार को सीज कर दिया गया है और फरार दो अन्य युवकों की तलाश जारी है।

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