हर्षा रिछारिया की हिंदू पदयात्रा में हिजाब पहने यह लड़की कौन है? सबका ध्यान खींच लिया

Published : Apr 14, 2025, 06:18 PM IST
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सार

Sanatan Yatra Vrindavan: वृंदावन में 'सनातन युवा जोड़ो पदयात्रा' में हिजाब पहने मुस्लिम युवती अलीशा शामिल हुईं। उन्होंने सनातन धर्म अपनाया और पति के साथ यात्रा कर रही हैं।

Muslim girl adopts Sanatan Dharma: वृंदावन की गलियों में जब ‘सनातन युवा जोड़ो पदयात्रा’ का शुभारंभ हुआ, तो भगवा झंडों और भक्ति-भजन के बीच एक युवती की मौजूदगी सबका ध्यान खींच गई। सिर पर हिजाब, हाथों में पोस्टर और मन में सनातन की आस्था। यह दृश्य केवल विरोधाभास नहीं था, बल्कि एक परिवर्तन की शुरुआत थी। मथुरा की रहने वाली अलीशा अब खुद को सनातन धर्म का हिस्सा मानती हैं और अपने पति के साथ पदयात्रा में शामिल हुईं।

मुस्लिम युवती बनी सनातन यात्रा की हिस्सा, पहन रखी थी हिजाब

प्रयागराज महाकुंभ के दौरान सुर्खियों में आईं हर्षा रिछारिया ने सोमवार को वृंदावन से 'सनातन युवा जोड़ो पदयात्रा' का आगाज किया। यह यात्रा 21 अप्रैल को संभल पहुंचेगी। इस पदयात्रा का उद्देश्य युवाओं को नशा मुक्त जीवन और धर्म के प्रति जागरूक करना है।

इस यात्रा में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रही मथुरा की एक मुस्लिम युवती अलीशा, जो हिजाब पहनकर पदयात्रा में शामिल हुईं। अलीशा ने बताया कि उन्होंने अब इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया है और वह इस पदयात्रा के उद्देश्य से प्रभावित होकर इसमें शामिल हुई हैं।

कोर्ट मैरिज कर चुना सनातन धर्म, परिवार ने किया था विरोध

अलीशा अपने पति सचिन के साथ पदयात्रा में पहुंचीं। दोनों ने आठ महीने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में कोर्ट मैरिज की थी। अलीशा के मुताबिक, उनके परिवार वाले इस रिश्ते के खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी और सचिन के साथ शादी कर ली। अब वह पूरी तरह से सनातन धर्म में विश्वास रखती हैं।

प्रेमानंद महाराज से प्रेरित, धर्म परिवर्तन को बताया आत्मिक निर्णय

अलीशा ने बताया कि उन्हें प्रेमानंद महाराज के प्रवचन बेहद प्रेरणादायक लगते हैं और वही उनके आध्यात्मिक गुरु हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अभी तक हिजाब क्यों पहना है, तो उनका जवाब था कि यह पुरानी आदत है जो धीरे-धीरे छूट जाएगी। अब वह पूरी तरह से सनातन धर्म की राह पर चल रही हैं।

इस पदयात्रा का उद्देश्य है युवाओं को धर्म, सेवा और आत्मविकास के मार्ग पर लाना। हर्षा रिछारिया का कहना है कि यह यात्रा एक आंदोलन है जो आज के युवाओं को एक सकारात्मक दिशा देने का प्रयास कर रही है। अलग-अलग जिलों से युवा इसमें शामिल हो रहे हैं।

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