
IAS Rinku Singh Rahi News: शाहजहांपुर के पुवायां तहसील में हाल ही में तैनात ट्रेनी IAS अधिकारी रिंकू सिंह राही का लखनऊ तबादला कर दिया गया है। उनका कार्यकाल एक विवाद और उससे जुड़ी बेहद असामान्य प्रतिक्रिया के कारण चर्चा में रहा। सवाल यह है कि क्या एक ईमानदार और ज़िम्मेदार अफसर की सोच सिस्टम को रास नहीं आई?
29 जुलाई 2025 को रिंकू सिंह राही ने SDM पुवायां के रूप में कार्यभार संभाला। पहले ही दिन जब वह तहसील परिसर का निरीक्षण कर रहे थे, तभी उन्होंने एक मुंशी को खुले में शौच करते देखा। इस पर उन्होंने अनुशासन के तहत सजा देते हुए उसे सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक करने को कहा।
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मुंशी को दी गई सार्वजनिक सजा ने वकीलों को नाराज़ कर दिया। उन्होंने इसे ‘कर्मचारी का अपमान’ बताते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि गंदे शौचालयों की वजह से मजबूरी में खुले में जाना पड़ा, तो सजा कैसे दी जा सकती है?
यह विवाद केवल शौचालय की हालत तक सीमित नहीं था। पहले से ही वकील 25 जुलाई से तहसीलदार राघवेश मणि त्रिपाठी के खिलाफ धरने पर थे। उनका आरोप था कि EWS प्रमाणपत्र समय से नहीं दिए जा रहे। ऐसे में SDM राही की सख्ती ने गुस्से को और भड़काया।
इस पूरे विरोध को शांत करने के लिए SDM रिंकू सिंह राही ने एक असाधारण कदम उठाया। उन्होंने कहा, “अगर सफाई की जिम्मेदारी मेरी है, तो सजा मुझे भी मिलनी चाहिए।” इसके बाद उन्होंने सबके सामने कान पकड़कर 5 उठक-बैठक कीं। इस भावनात्मक कदम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
जहां सोशल मीडिया पर राही की ईमानदारी की जमकर तारीफ हुई, वहीं कुछ लोगों ने इसे प्रशासन की ‘कमजोरी’ भी बताया। इस बीच अचानक उनका तबादला लखनऊ कर दिया गया। इससे यह सवाल खड़ा हो गया कि क्या सिस्टम को राही की पारदर्शिता और संवेदनशीलता स्वीकार नहीं?
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