
कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर की अकादमिक और करियर काउंसिल (एएनसी) ने दिवाली समारोह का नाम “जश्न-ए-रोशनी” रखा, जिससे जनता में काफी आक्रोश फैल गया। “जश्न-ए-रोशनी” उर्दू में रोशनी के त्यौहार का अनुवाद है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने दिवाली समारोह के नामकरण को पारंपरिक संस्कृति की अवहेलना और हिंदू सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान माना, जिसके बाद पोस्ट को हटा दिया गया। यह पोस्ट आईआईटी कानपुर के अकादमिक और करियर काउंसिल (एएनसी) के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से की गई थी।
आलोचकों ने सवाल किया कि उर्दू के पक्ष में “दीपावली” या “दीपोत्सव” जैसे पारंपरिक नामों को नजरअंदाज क्यों किया गया। एक यूजर ने सवाल किया, “क्या आईआईटी कानपुर के अंतरराष्ट्रीय संबंध विंग के लिए दिवाली या दीपावली का उच्चारण करना बहुत मामूली बात है?”
दूसरों ने प्रशासन पर हिंदू परंपराओं की कीमत पर “कूल” दिखने की कोशिश करने का आरोप लगाया। एक अन्य आक्रोशित टिप्पणीकार ने लिखा, “दिवाली को 'जश्न-ए-रोशनी' में बदलने की क्या मजबूरी थी? क्या आप भारत के हिंदुओं को ताना मार रहे हैं?”
कई मुखर आलोचकों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो वे अपना विरोध तेज करेंगे और कार्यक्रम के आयोजकों के नाम जारी करेंगे और यहां तक कि बजरंग दल जैसे स्थानीय धार्मिक संगठनों को भी शामिल करेंगे।
जनता की चिंताएं भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में धर्मनिरपेक्षता, सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व और संस्थागत संवेदनशीलता के इर्द-गिर्द एक बड़ी बहस को रेखांकित करती हैं। हालांकि पोस्ट को हटा दिया गया है, लेकिन आईआईटी कानपुर ने अभी तक इन चिंताओं को दूर करने के लिए कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है।
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