चित्रकूट के रहस्यमयी मंदिर में विराजे हैं तांडव करते शिव जी, डकैती से पहले मत्था टेकने आते थे डाकू

भगवान श्रीराम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट में ऐसी कई प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जो दुनियाभर में ख्यात हैं। यहीं के भरतकूप क्षेत्र के घने जंगल में ढाई सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है मड़फा किला। 

Contributor Asianet | Published : Jul 17, 2023 8:27 AM IST / Updated: Jul 17 2023, 01:58 PM IST
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चित्रकूट. भगवान श्रीराम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट में ऐसी कई प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जो दुनियाभर में ख्यात हैं। यहीं के भरतकूप क्षेत्र के घने जंगल में ढाई सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है मड़फा किला। यह जगह ऋषि मांडव्य का आश्रम हुआ करता था। इसी मड़फा आश्रम में नृत्यमुद्रा में पंचमुखी भगवान शिव की मूर्ति विराजित है। पंचमुखी भगवान का बखान वेदों और पुराणों में भी है।

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कहते हैं कि कभी पुलिसवालों से लेकर डकैत तक मड़फा पंचमुखी महादेव मंदिर में जलाभिषेक करते थे। चित्रकूट का घना जंगल कई बड़े डाकुओं की शरण स्थली रहा है। कहा यहां तक जाता है कि डकैती से पहले डाकू भगवान शिव के आगे मत्था टेकने आते थे। ददुआ, ठोकिया, बबली और गौरी यादव जैसे डाकू यहां आते रहे हैं।

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मड़फा महादेव मंदिर में 8 हाथों वाली दुर्लभ मूर्ति है। मड़फा दुर्ग बरिया मानपुर गांव के पास है। यहां विराजे शिव लाल बलुआ पत्थर से बनाए हैं। वे तांडव की मुद्रा में हैं। महादेव गले में नरमुंड भी पहने हैं।

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कहा जाता है कि चंदेल राजवंश ने 8वीं से 12वीं शताब्दी तक बुंदेलखंड के इस हिस्से पर राज किया था। इसी दौरान मड़फा की पहाड़ियों पर यह किला बनाया गया था।

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किला अपने आप में एक रहस्यमयी जगह है। यहां एक न्यग्रोध कुंड यानी तालाब है। कहते हैं कि इसमें नहाने से कुष्ठ जैसे चर्म रोग तक ठीक हो जाते हैं।

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इसी जगह पर महाराज दुष्यंत की पत्नी शकुंतला ने भरत को जन्म दिया था। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां काफी भीड़ आती है।

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