जौनपुर का नाम अब क्या होगा? बीजेपी नेता ने CM योगी को लिखी चिट्ठी

Published : May 19, 2025, 02:54 PM IST
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सार

jaunpur name change proposal: जौनपुर का नाम बदलने की मांग फिर सुर्खियों में है। बीजेपी नेता ने सीएम योगी को पत्र लिखकर 'महर्षि जमदग्नि' या 'माता रेणुका' नाम पर पुनर्नामकरण का सुझाव दिया है। क्या बदलेगा पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों वाले ज़िले का नाम?

UP Jaunpur Name Change: उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मी अब नाम बदलने की बहस में फिर से तेज हो गई है। अब बारी जौनपुर की है, वो ज़िला जो पवित्र नदियों, पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से भरा पड़ा है। यहां की धरोहरें सिर्फ पत्थरों में नहीं, बल्कि जनमानस की भावनाओं में भी बसी हैं। ऐसे में जौनपुर का नाम बदलने की मांग एक बार फिर चर्चा में आ गई है।

बीजेपी नेता ने उठाई नाम परिवर्तन की मांग

भारतीय जनता पार्टी के नेता शम्सी आज़ाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर जौनपुर जिले का नाम बदलने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हुए जिले को ‘महर्षि जमदग्नि’ या ‘माता रेणुका’ के नाम से पुनर्नामित करने का सुझाव दिया है। अपने पत्र में शम्सी आज़ाद ने लिखा है कि जौनपुर का ऐतिहासिक नाम ‘पवनपुर’ था। लेकिन फिरोज शाह तुगलक के चचेरे भाई जौना खां (जो बाद में मोहम्मद बिन तुगलक कहलाए) के नाम पर इसका नाम जौनपुर रख दिया गया।

महर्षि दधीचि और परशुराम से भी है संबंध

बीजेपी नेता ने बताया कि जौनपुर का पौराणिक रिश्ता महर्षि दधीचि से भी है। यहां मौजूद ‘दधीचि कुंड’ आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है, जहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। वहीं जिले के जमैथा गांव को भगवान परशुराम की कर्मभूमि माना जाता है। यहीं पर उनके पिता महर्षि जमदग्नि का आश्रम था। एक समय में जौनपुर को 'जमदग्निपुरम्' भी कहा जाता था।

नाम बदलने की अपील में उठाया धार्मिक विरासत का मुद्दा

आजाद ने सीएम को भेजे गए पत्र में अनुरोध किया कि जौनपुर का नाम महर्षि दधीचि, महर्षि जमदग्नि, भगवान परशुराम या माता रेणुका में से किसी के नाम पर रखा जाए। उनका तर्क है कि इससे जिले की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को उचित सम्मान मिलेगा। जौनपुर का नाम बदलने की यह मांग न केवल राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे रही है, बल्कि स्थानीय जनता में भी उत्सुकता का विषय बनी हुई है। कुछ इसे सांस्कृतिक विरासत का सम्मान मान रहे हैं तो कुछ इसे राजनीति से प्रेरित कदम बता रहे हैं।

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