कानपुर देहात मां-बेटी मौत मामला: 10 साल पहले मर चुके व्यक्ति को SIT टीम ने गवाही के लिए भेजी नोटिस, पीड़ित परिवार बोला- जांच पर नहीं है भरोसा

Published : Mar 02, 2023, 10:06 AM IST
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सार

कानपुर देहात कांड में अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। जिसके बाद मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था। SIT ने मामले पर गवाही लेने के लिए 10 साल पहले मर चुके व्यक्ति के नाम से नोटिस जारी किया है।

कानपुर: यूपी के कानपुर देहात में 13 फरवरी को अतिक्रमण हटाने के दौरान मड़ौली गांव में महिला प्रमिला और उसकी 18 साल की बेटी नेहा की मौत हो गई थी। जिसके बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। वहीं इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था। बता दें कि SIT ने जांच के दौरान गवाही के लिए ऐसे व्यक्ति के नाम का नोटिस जारी किया है, जिसकी 10 साल पहले मौत हो चुकी है। वहीं मामले की जानकारी होने पर मृतक प्रमिला के बेटे शिवम ने SIT की जांच पर सवाल उठाए हैं। शिवम ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में मुर्दों के बयान भी लिए जा रहे हैं।

पीड़ित परिवार ने जांच पर उठाए सवाल

शिवम ने कहा कि पहले इसकी जांच होनी चाहिए कि जिस व्यक्ति की 10 साल पहले मौत हो चुकी है। उसके साइन किसने किए और मृतक के नाम का नोटिस कैसे जारी हो गया। बता दें कि मड़ौली कांड में पीड़ित परिवार ने लेखपाल, SDM और थाना प्रभारी समेत 39 लोगों पर केस दर्ज कराया था। वहीं केस दर्ज होने के बाद JCB चालक और लेखपाल को गिरफ्तार कर लिया गया था। मामले पर SIT के गठन के बाद 1 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन अभी जांच जारी है। इस मामले में गवाही के लिए गांव के कुछ लोगों को SIT ने नोटिस जारी कर बुलाया गया था। वहीं मृतका के परिवार ने पूरी जांच टीम पर सवाल उठाए हैं।

मृतक व्यक्ति के नोटिस में लिए साइन

बता दें कि SIT की ओर से जारी लेटर में पुलिस ने इस बात का जिक्र किया था कि परिवार के लोगों को मकान गिराने के लिए 14 जनवरी का नोटिस दिया गया था। इस नोटिस पर पुलिस ने गांव के कुछ लोगों के साइन भी लिए थे। वहीं पुलिस ने इस नोटिस में मृतक राम नारायण दीक्षित के भी साइन दिखाए थे। जिसके बाद उन्हें भी बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया था। शिवम ने इसी मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि लेखपाल, SDM और पुलिस ने मरे हुए व्यक्ति के हस्ताक्षर कैसे ले लिए। मृतका के बेटे ने कहा कि उन्हें इस जांच पर भरोसा नहीं है।

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