स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को बताया ढोंगी, कहा- 'महिलाओं और शूद्रों को गाली देने वाली चौपाई से है आपत्ति'

यूपी के कानपुर में सपा नेता भगवती प्रसाद सागर की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए कानपुर पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस वाले बयान पर सफाई दी है। साथ ही उन्होंने बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री को पाखंडी बताया है।

कानपुर: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य बीते सोमवार रात को कानपुर पहुंचे। बता दें कि मौर्य भाजपा से सपा में आए भगवती प्रसाद सागर की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए कानपुर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उन्हें केवल महिलाओं और शूद्रों को गाली देने वाली चौपाई से समस्या है। इसके अलावा उन्होंने बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के बारे में बात करते हुए उन्हें पाखंडी और ढोंगी बताया। मौर्य ने कहा कि किसी का अपमान करना धर्म का हिस्सा नहीं है। जब हम सम्मान की बात कर रहे हैं, तो हाय-तौबा क्यों मचाई जा रही है।

सभी धर्मों का करते हैं सम्मान- मौर्य

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मौर्य ने आगे कहा कि किसी पर जुल्म करना, गाली देना, मारपीट करना और नीच व अधर्मी कहना धर्म है क्या। उन्होंने कहा कि वह ऐसे ढोंगियों के पास जाने में विश्वास नहीं करते हैं। इस तरह के लोग धर्म को बढ़ावा देकर देश को पीछे ले जाना चाहते हैं। आज का युग वैज्ञानिक युग है और आज लोग चांद पर जा रहे हैं। ग्रहों की खोज कर वहां पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। मौर्य ने कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उनका रामचरितमानस से कोई मतलब नहीं है। उन्हें दिक्कत केवल उस चौपाई से है। जिसमें शूद्र समाज में आने वाली जातियों को नीच कहा गया है।

धर्म की चादर ओढ़कर बैठे हैं कुख्यात हिस्ट्रीशीटर

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मानस की मानस की चौपाई में शूद्रों और महिलाओं को मारने, पीटने और प्रताड़ित करने का पात्र बताया गया। मौर्य ने कहा कि मानस के अनुसार, कोई शूद्र कितना भी पढ़ा-लिखा और विद्वान क्यों न हो, उसका सम्मान नहीं करना चाहिए। आखिर यह कहां का न्याय है। उन्होंने कहा कि हमने पढ़ा है कि साधु-संतो और धर्माचार्य को गुस्सा नहीं आता है। यदि उन्हें गुस्सा आए तो वह श्राप दे देते थे। जिससे कि उसका काम तमाम हो जाता है। उन्होंने कहा कि धर्म की चादर ओढ़कर कुख्यात हिस्ट्रीशीटर काट मार, जीभ काटना, सिर काटना और नाक काटने की बात करते हैं। वह संत-महात्मा नहीं हो सकते हैं।

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