काशी-तमिल संगम: योगी ने कहा, पीएम मोदी के विजन को मिली नई ऊंचाई

Published : Feb 16, 2025, 12:01 PM IST
Yogi Adityanath

सार

सीएम योगी ने काशी तमिल संगमम् के तीसरे संस्करण का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन पीएम मोदी के 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के विजन को आगे बढ़ाता है और महाकुंभ के साथ जुड़कर इसे और महत्वपूर्ण बनाता है।

वाराणसी, 15 फरवरीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पीएम मोदी के विजन को ध्यान में रखकर हमारी सरकार ने जिस कार्यक्रम को बढ़ाया, उसका परिणाम है कि महाकुम्भ प्रयागराज में लगभग 51 करोड़ श्रद्धालुओं ने मां गंगा, मां यमुना व मां सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर भारत की आस्था को एकता के संदेश के साथ जोड़ने का कार्य किया है। यहां जाति-पाति, क्षेत्र का भेद नहीं है, बल्कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को लेकर हर गंगे का उद्घोष करते हुए और मां गंगा का आशीर्वाद लेते हुए देश के अलग-अलग कोने से आकर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। यह अब तक सबसे बड़ा आयोजन है। इस बार महाकुम्भ के आयोजन के साथ काशी तमिल संगमम को भी जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। सीएम ने विश्वास व्यक्त किया कि काशी तमिल संगमम् हजारों वर्ष की परंपरा को नई ऊंचाई की ओर लेकर जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नमो घाट पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन संग काशी तमिल संगमम् (तृतीय संस्करण) का शुभारंभ किया। सीएम ने काशी की धरा पर तमिल भाषा में अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने यहां केंद्रीय मंत्रियों व आगंतुकों संग फोटो खिंचवाई, प्रदर्शनी का अवलोकन किया, पुस्तकों का विमोचन किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद भी उठाया।

पीएम मोदी के मार्गदर्शन में अनवरत तीसरी बार काशी की धरा पर हो रहा काशी तमिल संगमम्

सीएम योगी ने कहा कि पीएम मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में अनवरत तीसरी बार बाबा विश्वनाथ की धरा पर काशी तमिल संगमम् हो रहा है। यह 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के पीएम मोदी के विजन को आगे बढा़ने के महायज्ञ का भाग है। पहले दो संस्करण कार्तिक मास में हुए थे। उनकी भी अपनी महत्ता थी। उन्होंने कहा कि तृतीय संस्करण इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक व सांस्कृतिक आयोजन 'महाकुम्भ प्रयागराज' हो रहा है।

4 एस पर आधारित है थीम

सीएम ने कहा कि इस बार की थीम 4 एस पर आधारित है। भारत की संत परंपरा, साइंटिस्ट, समाज सुधारक, स्टूडेंट को मिलाकर महर्षि अगस्त्य को ध्यान में रखकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की थीम के साथ यह आयोजन चल रहा है। महर्षि अगस्त्य के बारे में मान्यता है कि वे उत्तर व दक्षिण भारत को जोड़ने वाले ऋषि हैं। उनके बारे में कहा जाता था कि एक तराजू में महर्षि अगस्त्य को रख दें और दूसरे तराजू में उत्तर भारत की ज्ञान की धरोहर को रखेंगे तो अगस्त्य ऋषि का विराट स्वरूप दिखेगा। महर्षि अगस्त्य भारत की दो महत्वपूर्ण परंपराओं काशी और तमिल के माध्यम से उत्तर से दक्षिण, संस्कृत और तमिल को आपस में जोड़ने का सशक्त माध्यम भी रहे हैं।

महर्षि अगस्त्य के प्रति श्रद्धा का जो भाव तमिल में, वही काशी व उत्तराखंड में भी

सीएम योगी ने कहा कि महर्षि ने हजारों वर्ष पहले उत्तर से दक्षिण में जाकर अभिनंदनीय कार्य किया था। महर्षि अगस्त्य ने भगवान राम को मां सीता के खोज के लिए प्रेरणा प्रदान की थी और राम-रावण युद्ध में आदित्यहृद्य स्रोत का मंत्र दिया था। हजारों वर्ष पहले से महर्षि के बारें में श्रद्धा को जो भाव तमिल के घर-घऱ में है, वही भाव काशी-उत्तराखंड में है। अगस्त्य मुनि के नाम पर उत्तराखंड में एक स्थल है और यहां भी अगस्त्य ऋषि के नाम पर कई मंदिर जुड़े हैं, जो हमें प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं।

काशी के साथ महास्नान व रामलला के दर्शन का प्राप्त होगा सौभाग्य

सीएम योगी ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्र के लोग काशी तमिल संगमम् के माध्यम से आज से लेकर 24 फऱवरी तक जुड़ने जा रहे हैं। उन्हें महाकाशी के साथ-साथ प्रयागराज की त्रिवेणी में महास्नान व अयोध्या में रामलला के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। इस कार्यक्रम का हिस्सा छात्र, शिक्षक, शिल्पकार, साहित्यकार, संत, उद्योग जगत, व्यवसाय, देवालय, इनोवेशन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था व संस्कृति से जुड़े लोग भी बनने जा रहे हैं।

बाबा विश्वनाथ की पावन धरा है काशी, काल भैरव हैं यहां के रक्षक

सीएम ने कहा कि काशी बाबा विश्वनाथ की पावन धरा है। कालभैरव यहां के रक्षक है, मां अन्नपूर्णा-मां विशालाक्षी, मां गंगा के पवित्र घाट, गंगा आरती, हनुमान घाट, सुब्रमण्यम भारती से जुड़े पवित्र स्थल आदि यहां देखने को मिलेंगे। द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने काशी हिंदू विश्वविद्यलाय के कुलपति के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन को आगे बढ़ाया था। उत्तर को दक्षिण, पूरब को पश्चिम, बाबा विश्वनाथ धाम को रामेश्वरम् के पवित्र ज्योर्तिलिंग से जोड़ने व इस प्राचीन धरोहर को एकता के जरिए 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के आयोजन को आगे बढ़ाने का जो कार्यक्रम सैकड़ों वर्ष पहले केरल से निकले संन्यासी आदि शंकराचार्य ने किया था, आज वही कार्य पीएम मोदी के नेतृत्व में काशी तमिल संगमम् करने जा रहा है।

जगजाहिर है काशी की महत्ता

सीएम ने कहा कि काशी की महत्ता जगजाहिर है। यह प्राचीन काल से भारत की आध्यात्मिक, ज्ञान व धरोहर की नगरी के रूप में विख्यात रही है। वहीं तमिल का साहित्य दुनिया के प्राचीनतम साहित्य में से एक है। महर्षि अगस्त्य ने संस्कृत के साथ तमिल व्याकरण की उस परंपरा को बढ़ाया। दुनिया की इतनी प्राचीन धरोहर को लेकर चलने वाले इस काशी तमिल संगमम् का आयोजन हमें उस विरासत से जोड़ता है, जिसे पीएम मोदी 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' कहते हैं।

दस वर्ष के अंदर देश में ट्रेडिशनल मेडिसिन को मिला सम्मान

सीएम ने कहा कि महर्षि अगस्त्य के आयुष-आरोग्यता से जुड़े सिद्ध पद्धित से भी जुडऩे का अवसर प्राप्त होगा। यह पहली बार हुआ, जब ट्रेडिशनल मेडिसिन को दस वर्ष के अंदर देश में सम्मान मिला। आज उसके लिए अनेक अभियान चल रहे हैं। यह कार्यक्रम भी उसी का हिस्सा है। संगमम् में प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र 'दयालु', रवींद्र जायसवाल, भारत सरकार के शिक्षा सचिव विनीत जोशी, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री (पद्मश्री), बीएचयू के कुलपति प्रो. संजय कुमार, आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा, निदेशक आईआईटी मद्रास बी. कामकोटि आदि मौजूद रहे।

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