जानिए क्या है उमेश पाल अपहरण मामला जिसमें कोर्ट सुनाएगी फैसला, अतीक और अशरफ को हो सकती है सजा

उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट 28 मार्च को फैसला सुनाएगी। इस मामले में लंबे समय से सुनवाई चल रही थी और सुनवाई के दौरान ही 24 फरवरी 2022 को उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी।

प्रयागराज: उमेश पाल अपहरण केस में 16 साल की लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट फैसला सुनाएगी। इसी मामले में कोर्ट में पेश होने के लिए अतीक अहमद को साबरमती जेल और अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया है। अपहरण केस में सुनवाई के दौरान ही 24 फरवरी को घर के बाहर सुलेमसराय इलाके में गोलियों और बमबाजी से उमेश पाल को मौत के घाट भी उतार दिया गया। इस बीच दो सरकारी गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह की भी मौत हो गई। अपहरण केस के फैसले पर उमेश पाल की पत्नी जया पाल, मां शांति पाल समेत अन्य लोगों को इंतजार है। कोर्ट 28 फरवरी को 11 बजे इस मामले में फैसला सुनाएगी।

आजीवन कारावास या फांसी की हो सकती है सजा

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उमेश पाल अपहरण मामले में अभियोजन के द्वारा मजबूत पैरवी की गई। इसमें 8 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। पैरवी को देखकर कहा जा रहा है कि मामले में कोर्ट आरोपियों को कड़ी सजा सुनाएगी। मुकदमे की धाराओं को देखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि अतीक और अशरफ को आजीवन कारावास या मृत्युदंड यानी की फांसी की सजा सुनाएगी। हालांकि कोर्ट का क्या फैसला होता है यह 11 बजे के बाद ही पता लगेगा।

क्या है पूरा मामला

बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या 25 जनवरी 2005 को की गई थी। इस हत्याकांड में राजू पाल के साथ ही देवी लाल पाल और संदीप यादव की भी हत्या की गई थी। इस केस में उमेश पाल गवाह थे। आरोप है कि राजू पाल हत्याकांड में गवाही न देने का दबाव बनाने के लिए उमेश पाल का अपहरण 28 फरवरी 2006 को किया गया था। अतीक अहमद पर उमेश पाल का अपहरण करवाने को लगा था। उमेश को धूमनगंज थाना क्षेत्र के फांसी इमली के पास से लैंड क्रूजर गाड़ी में किडनैप कर चकिया स्थित ऑफिस ले जाया गया था। यहां पर 3 दिनों तक उमेश को टॉर्चर करने के बाद 1 मार्च 2006 को उससे अपने पक्ष में गवाही दिलवाई गई थी।

2007 में दर्ज हुआ था केस

अपहरण के इस मामले को लेकर 5 जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में केस दर्ज हुआ था। इस मामले में अतीक अहमद, भाई अशरफ, खान सौलत हनीफ, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, दिनेश पासी, फरहान इसरार, आबिद प्रधान, एजाज अख्तर, आशिक उर्फ मल्ली को आरोपी बनाया गया था। ज्ञात हो कि लंबे समय से चल रही सुनवाई के दौरान ही इस मामले में अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा की मौत हो गई थी।

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