
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में कोडीन वाले कफ सिरप की तस्करी एक बार फिर सुर्खियों में है। वाराणसी में फूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को 12 और दवा कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज कर बड़ा खुलासा किया है। इससे पहले 26 दवा कंपनियों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी थी। कुल मिलाकर अब 38 फार्मा कंपनियां जांच के दायरे में हैं। डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर जनाब अली के अनुसार जब जांच टीम इन 12 संदिग्ध कंपनियों के पते पर पहुंची, तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई कुछ कंपनियां बंद मिलीं, जबकि कई जगहों पर पूरी तरह अलग दुकानें चल रही थीं। इससे संकेत मिलता है कि तस्करी का नेटवर्क संगठित, योजनाबद्ध और लंबे समय से सक्रिय था।
जांच में सामने आया कि कई कंपनियां केवल कागज़ों में मौजूद थीं। वास्तविक संचालन कहीं और से होने की आशंका जताई गई है। अधिकारियों का मानना है कि इससे यह साफ होता है कि ड्रग माफिया फार्मा लाइसेंस और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर रहा था।
टीम को 12 में से कई कंपनियां या तो बंद मिलीं या वहां दूसरी दुकानें चल रही थीं। यह दो संभावनाएं दिखाता है कंपनियां फर्जी थीं या फिर जांच की भनक लगते ही उन्हें खाली कर दिया गया। दोनों ही स्थितियां बड़े खेल की ओर इशारा करती हैं।
इंस्पेक्टर अली के अनुसार, इन फर्मों के रिकॉर्ड में असामान्य मात्रा में कफ सिरप की खरीद-बिक्री पाई गई। कोडीन, जो एक नियंत्रित दवा है, अक्सर नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार में इस्तेमाल होती है। यही वजह है कि फार्मा फर्मों की गतिविधियां संदिग्ध मानी गईं।
डिपार्टमेंट ने सभी ऑपरेटरों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था, लेकिन कोई भी मालिक संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। कई ने तो जवाब देना ही छोड़ दिया। यही कारण रहा कि कोतवाली थाने में FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई।
एक साथ 38 कंपनियां जांच में आना सामान्य बात नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संभवतः राज्य में चल रहे कंट्रोल्ड मेडिसिन सिंडिकेट का हिस्सा है। अब सरकार और एजेंसियां पूरे नेटवर्क को खंगाल रही हैं।
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