क्राइम की कहानी Ex. IPS की जुबानी पार्ट-11: सड़कों के किनारे पड़ी मिलती थी डेड बॉडी, कैसे खत्म हुआ सीरियल किलिंग का सिलसिला?

एशियानेट न्यूज हिंदी क्राइम डायरी पर एक सीरीज चला रहा है। हम हर सप्ताह अलग-अलग क्राइम केसों की हैरतअंगेज कहानी लेकर आते हैं। आज पढ़िए 250 से ज्यादा मर्डर करने वाले गैंग की कहानी पूर्व IPS राजेश पांडेय की जुबानी।

राजेश कुमार पांडेय।। आज हम आपको एक ऐसे गैंग के बारे मे बताने जा रहे हैं, जो रात के समय रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और ढाबे पर यात्रियों को टारगेट करता था। उनकी टैक्सी में यात्री सवार होते थे। पर अपने मंजिल तक नहीं पहुंच पाते थे। बीच रास्ते में ही बदमाश यात्रियों की गला घोंटकर हत्या कर, उनका सारा सामान लूट लेते थे। लोगों को जिंदा या मुर्दा सड़क किनारे फेंक दिया जाता था। सड़क के किनारे डेड बॉडीज मिलने लगीं। तो सवाल उठा कि आखिर यह कौन कर रहा है? जो ज़िंदा बच गए थे, उनमें से कुछ लोगों ने बदमाशों का हुलिया, बोली-भाषा, गाड़ी के नंबर के बारे में जानकारी दी।

साल 2006-07 में इस तरह की घटनाएं बढ़ गईं। एक गैंग मेंबर सिराज उर्फ राजा कांदिवली पुलिस स्टेशन मुंबई में पकड़ा गया था। पूछताछ में उसने तिथिवार घटनाओं के बारे में बताया। जिसे एसएसपी मेरठ को भी शेयर किया गया था। तभी ये गैंग प्रकाश में आया। एक बात यह स्पष्ट हो गई कि बहराइच का रहने वाला सलीम चिकवा और सलारू दो पैरेलल गैंग चला रहे थे, जो बाद में एक हो गए थे।

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क्या थी मॉडस आपरेंडी?

यह लोग पैसेंजर को आगे की सीट पर बिठाते थे और गैंग के बाकी लोग पीछे की सीटों पर बैठे होते थे। ड्राइवर भी उन्हीं का होता था। 8-10 किलोमीटर चलने के बाद जब पैसेंजर को हल्की सी झपकी आने लगती या वह अनमना सा हो जाता तो तभी अचानक पीछे से मफलर, अंगोछा या किसी रस्सी से पैसेंजर का गला घोंट देते थे। पैसेंजर मर जाता था या फिर बेहोश हो जाता था, तो उनमें से एक आदमी पैसेंजर की तलाशी लेता था और फिर बदमाश उसका सारा सामान लूट कर डेड बॉडी सड़क के किनारे फेंक कर फरार हो जाते थे। बदमाशों ने यूपी में 250 से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया। 

ऐसे ही एक केस के बाद मचा बवाल

बदमाशों का गैंग 14 फरवरी को करीब साढ़े छह बजे हापुड़ से बुलंदशहर के लिए चला और मेरठ के लिए दो पैसेंजर्स बिठाए। रास्ते में ही उनकी हत्या कर दी और सामान लूटकर फरार हो गए। मृतकों में एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटीव राजीव वर्मा और दूसरे हाइड्रो में जूनियर इंजीनियर थे। दूसरे दिन बवाल हुआ। मृत राजीव वर्मा के दो बड़े भाई थे। डॉक्टर रजनीश वर्मा, दिल्ली और राकेश वर्मा रायपुर में थे। राकेश ने स्वयं घटना के बारे में पता करना शुरू किया। वह इस केस को पर्सयू करते रहें। फिर कई अधिकारियों को इस केस में लगाया गया। पूरे यूपी से जानकारी इकट्ठा की गई। इंटर स्टेट गैंग-259, डिस्ट्रिक्ट बहराइच से रजिस्टर्ड किया गया। इस गैंग के करीबन 20-22 मेंबर्स थे। गैंग लीडर सलीम चिकवा था। एजाज अली अहमद, भोंगल, डब्ल्यू और सलारू गैंग को आपरेट करते थे।

सलीम चिकवा नेपाल भाग गया

सर्विलांस की मदद से सलीम और दो अन्य लोगों को अरेस्ट किया गया। उन लोगों ने 250 से ज्यादा घटनाओं के बारे में बताया। फिर डब्लू अरेस्ट हुआ। इसी दौरान सलीम पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया और परिवार सहित नेपाल में शिफ्ट हो गया। यह भी पता चला कि कानपुर जेल में बैठा एक शख्स इस गैंग को चला रहा था। वह शख्स सलारू निकला, जो दूसरे नाम और पते पर जेल में बंद था। भोंगल को बहराइच में क्राइम ब्रांच ने पकड़ा।

सलीम चिकवा मुठभेड़ में मारा गया

बहरहाल, पूरे गैंग का चार्ट बनाकर नेपाल की सीमा से लगे व अन्य संवदेनशील जिलों में भी सर्कुलेट किया गया। एक-एक करके गैंग के लोग अरेस्ट होते रहें। बहुत दिनों बाद सलीम चिकवा नेपाल से भारत आया और 2 जनवरी 2010 को नोएडा में एक मुठभेड़ में मारा गया। अली एहमद और एजाज़ भी ढेर हो गए। गैंग के बड़े आपरेटर्स मारे गए। ज़्यादातर अभी जेल में हैं। कुछ ज़रूर जमानत पर बाहर आ गए हैं।

रात में सफर के समय ये सावधानी जरुरी

आप यदि रात के समय बस अड्डे या रेलवे स्टेशन से टैक्सी कर रहे हैं तो सावधानी बरतने की जरुरत है। मोबाइल फोन से टैक्सी का नंबर, ड्राइवर की फोटो खींचकर परिजनों को भेजें। यदि वह बदमाश होंगे तो यह देखकर वारदात करने से हिचकेंगे। यदि आप दो या तीन आदमी हैं तो इस तरह के निजी वाहन से खासकर रात के समय जाना अवॉइड करें। परिवहन निगम की बसों का इस्‍तेमाल करें या सर्टिफ़ाइड टैक्सी करें। रेलवे स्टेशन पर टैक्सी उपलब्ध कराने संबंधी स्टॉल लगा होता है, वहां संपर्क करें। ड्राइवर का नंबर पूछ लें। वह गाड़ी बुलवा लेंगे। जहां तक जाना हो, खुद को रजिस्टर कर लें। ताकि आप इस तरह की आकस्मिक दुर्घटना से बचे रह सकें। इस तरह के गैंग ने सिर्फ 5 हजार, 3 हजार रुपये के लिए ही वारदात को अंजाम दे दिया। घड़ी, अंगूठी, चेन वगैरह लूट ली। यह बदमाश छोटे से एमाउंट के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। सावधानी ही बचाव है।

-किस्‍सागोई के लिए मशहूर राजेश कुमार पांडेय पूर्व आईपीएस हैं।

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