सार

एशियानेट न्यूज हिंदी क्राइम डायरी पर एक सीरीज चला रहा है। हम हर सप्ताह अलग-अलग क्राइम केसों की हैरतअंगेज कहानी लेकर आते हैं। आज पढ़िए एक सिपाही के कारनामों की हैरतअंगेज कहानी पूर्व IPS राजेश पांडेय की जुबानी।

राजेश कुमार पांडेय। लखनऊ पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर में 30 मार्च 2000 को अपनी पत्नी और 4 बेटियों की फरसे से काटकर हत्या करने वाले सिपाही चंद्रजीत यादव की कहानी सबक की तरह है। उसने अपनी पत्नी का गला फरसे से काटा फिर भी उसका मन नहीं भरा तो वह पत्नी की बॉडी के सीने पर दो घंटे तक खड़ा होकर हंसता रहा। सात संतानों में से उसके तीन बच्चे बचे थे। 10 और 5 साल का बेटा और 16 साल की बेटी। डरे सहमे बच्चों से साइकोलॉजीकली बात की गई तो उन्होंने जो बताया वह दिल दहलाने वाला था।

पत्नी की हत्या के बाद फरसे से सिर काटा

महीने भर से घर में मारपीट बढ़ गई थी। घटना के पंद्रह दिन पहले मारपीट में पत्नी का हाथ टूट गया था। शिकायत करने पर सिपाही ने जान से मारने की धमकी दी थी। घटना के दिन सिपाही ने अपनी पत्नी की पिटाई कर उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। फिर काला चश्मा पहनकर पत्नी (42 वर्षीय विद्या देवी) के सीने पर बैठ कर गमछे से गला कसकर हत्या कर दी। गले पर फरसे से कई वार कर बाकी कसर भी पूरी कर ली। सभी भाई बहनों (6 लड़कियां और 2 लड़के) को दूसरे में बंद कर दिया। उसने पत्नी का सिर फरसे से काटकर धड़ से अलग कर दिया था।

डेड बॉडी पर खड़ा होकर हंसता रहा

चंद्रजीत यादव अपनी पत्नी के डेड बॉडी के सीने पर खड़ा होकर हंसता रहा। इस तरह दो घंटे गुजर गए। सभी बच्चे खिड़की के झरोखे से डरे सहमे अपने पिता की हैवानियत देख रहे थे। इस दरम्यान, सिपाही शोर मचाने पर बच्चों को मॉं की तरह अंजाम भुगतने की धमकी देता रहा। फिर उसने सबसे बड़ी 17 वर्षीय बेटी नीतू को बुलाया और मॉं के पास लिटाकर उसकी गर्दन भी फरसे से काट दी। ऐसे एक-एक करके किरण, सुमन और मधु को बुलाया और तख्त पर लिटाकर उनकी भी गर्दन फरसे से काट दी। तब तक सुबह के 5 बज चुके थे। फिर उसने बचे हुए दो बेटों और एक बेटी को बुलाया और किसी को कुछ बताने पर हत्या की धमकी दी। इतने में बेटा धीरे से दरवाजे की तरफ खिसका और दरवाजा खोलकर तेजी से पुलिस लाइन के आरआई के घर भागा और घटना के बारे में जानकारी दी।

सिपाही को प​त्नी के चरित्र पर था शक

पुलिस ने जब सिपाही चंद्रजीत यादव को अरेस्ट किया और उससे पूछताछ शुरु की तो पहले वह इंकार करता रहा। बाद में उसने पूरी बात बताई। चंद्रजीत ने विद्या देवी से तीसरी शादी की थी। उसकी पहली पत्नी पागल थी तो उसे छोड़ दिया। दूसरी पत्नी के शरीर में सफेद दाग थे। उससे कोई संतान नहीं हुई। तीसरी शादी से उसे सात बच्चे हुए। एक साल से उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर शक होने लगा था। घर पर लोगों का आना जाना बढ़ गया था। तो उसे लगता था कि उसकी बेटियों का भविष्य खराब हो जाएगा। वह अपनी पत्नी को रंगे हाथ पकड़ना चाहता था और उसी समय उसने विद्या देवी की हत्या की प्लानिंग की थी। बेटों को इसलिए नहीं मारा, क्योंकि उसे लगता था कि वह आगे उसका वंश चलाएंगे।

बेटियों की शादी को लेकर डिप्रेशन

फिर उन लोगों से पूछताछ की गई तो चंद्रजीत यादव के साथ ड्यूटी पर लगाए गए थे। उन लोगों के अनुसार, चंद्रजीत की 6 लड़कियां थी। कभी कभी वह उनकी शादी का खर्चा जोड़ता था, और कहता था कि पेंशन, जीपीएफ, ग्रेच्युटी के पैसों के अलावा खेत बेचकर भी बेटियों की शादी करना संभव नहीं हो पाएगा। उसी को लेकर वह धीरे-धीरे अवसाद में जा रहा था। आपको बता दें कि बीस वर्ष पहले सिपाहियों की तनख्वाह बहुत कम हुआ करती थी। बहरहाल, यह बात उसके दिमाग में घर कर गई थी।

...इसलिए पत्नी की डेड बॉडी पर 2 घंटे खड़ा रहा

चंद्रदीप से जब पूछा गया कि तुम अपनी पत्नी के शरीर पर दो घंटे क्यों खड़े रहे? फरसे से गला काटने के बाद उसका उसका जिंदा होना असंभव था। सिपाही का जवाब हैरान करने वाला था। वह पत्नी की मौत के बाद भी उसके ऊपर खड़ा होकर देख रहा था कि उसकी सांस चल रही है या नहीं। कभी-कभी वह बॉडी की धड़कन-पैर में महसूस करता था। पूरी तरह मौत की पुष्टि करने के बाद ही वह डेड बॉडी से नीचे उतरा।

-किस्‍सागोई के लिए मशहूर राजेश कुमार पांडेय पूर्व आईपीएस हैं।

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