
राजेश कुमार पांडेय। साल 2005 में बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जैन द्वारा फिल्म निर्माता और निर्देशक मधुर भंडारकर की हत्या की सुपारी दिए जाने का मामला सुर्खियों में रहा। मुंबई पुलिस ने नरेश परदेशी और कुफ़रान मुहम्मद शेख उर्फ़ समीर को असलहे के साथ अरेस्ट किया था। पूछताछ में सामने आया कि एक्ट्रेस प्रीति जैन ने हत्या के लिए पैसे दिए थे। अग्रीपाड़ा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। एसीपी मानसी मोहिते ने डिटेल में केस की विवेचना की। इस बीच महाराष्ट्र के डीजीपी ने यह कहते हुए एसटीएफ का सहयोग मांगा कि केस का एक सिरा यूपी से भी जुड़ा है। एसटीएफ मदद कर दे तो जांच पूरी हो जाएगी।
अरुण गवली गैंग के लिए कर चुके थे काम
समीर मध्य प्रदेश के इंदौर का रहने वाला था, जबकि नरेश परदेशी उन्नाव का। उनमें समीर का आपराधिक इतिहास भी था और बताया गया कि गोली मारने का काम उसी को सौंपा गया था। दोनों अरुण गवली गैंग के लिए पहले भी काम कर चुके थे और गवली गैंग के कनेक्शन से ही पुलिस ने दोनों को ट्रैक करके अरेस्ट किया था।
केस में मिसिंग थी ये चीज
केस में एक चीज मिसिंग थी। वह यह कि इन लोगों को आर्म्स किसने दिए। इसको लेकर मीडिया में तमाम कहानियां गढ़ी जा रही थी। विवेचना में पता चला कि ये आर्म्स उत्तर प्रदेश से लाए गए थे। अब यूपी में असलहे इनको कहां से मिले और किसने दिलाएं? यह जब तक पूरी तरह से स्टेबलिश नहीं होता। तब तक विवेचना पूरी नहीं हो रही थी और जब आरोपी फिल्म इंडस्ट्री का कोई बड़ा आदमी होता है तो ऐसे में विवेचना पर लोग संदेह भी करते हैं।
असलहा लेने उन्नाव आया समीर
इंवेस्टिगेशन के दौरान आरोपियों ने बताया था कि नरेश परदेशी ने समीर को अपने एक राजन नाम के रिश्तेदार के पास उन्नाव भेजा था। समीर उन्नाव स्थित उसके गांव पहुंचा तो पता चला कि वह सब कुछ छोड़-छाड़ कर दुबई चला गया है। समीर ने नरेश को इस बारे में बताया और पूछा कि मुझे क्या करना चाहिए?
रिक्शा चालक ने दिलाया असलहा
नरेश ने गांव के कुछ और लोगों से बात की। फिर गांव के ही किसी शख्स ने समीर का संपर्क पिलानी, हरदोई के रहने वाले एक रिक्शा चालक राममिलन से करा दिया। उस समय वह लखनऊ में था। समीर लखनऊ जाकर राममिलन से मिला। फिर राममिलन उसे लेकर हरदोई चला गया और बिहानी के खिरवा-करवां गांव से बहुत सारे पैसों में एक 35 बोर का तमंचा और चार कारतूस दिला दिए। वही असलहा लेकर समीर मुंबई चला गया। फिर मधुर भंडारकर की हत्या से पहले ही मुंबई पुलिस ने उसे दबोच लिया और सारी कहानी सामने आ गई।
ये वेरिफाई करना चाहती थी मुंबई पुलिस
मुंबई पुलिस ये वेरीफाई करना चाहती थी कि क्या बताए जा रहे जगह और आदमी एगजिस्ट करते हैं? आरोपी समीर, राममिलन का टेलीफोन नंबर नहीं बता पा रहा है। अगर यह आदमी और इसका नंबर मिल जाए तो कॉल डिटेल्स से इन लोगों की बातचीत भी स्टेबलिश हो जाएगी और फिर वहां से उनके हरदोई पहुंचने की बात भी स्टेबलिश हो जाएगी। फिर विवेचना आगे बढ़ पाएगी।
एसटीएफ ने जोड़ दी कड़ी से कड़ी
एसटीएफ की टीम राममिलन की खोज में उन्नाव गई। पर वह नहीं मिला। पता चला कि वह लखनऊ के पारा कालोनी में भाई के साथ रहता है। दोनों भाई रिक्शा चलाने का काम करते हैं। फिर राममिलन को अरेस्ट कर मुंबई पुलिस से संपर्क किया गया। अग्रीपाड़ा के पीएसआई राजेन्द्र काणे आए, उनके पास नरेश परदेशी और समीर की इंट्रोगेशन रिपोर्ट थी और उन्होंने खुद आरोपियों से पूछताछ की थी। फिर उन जगहों को वेरिफाई किया गया, जहां से कट्टा खरीदा गया था। पूरी बात सही निकली। इस तरह से मधुर भंडारकर की हत्या की सुपारी देने वाली प्रीति जैन के विरुद्ध साक्ष्य इकट्ठा करके बाकी विवेचना मुंबई पुलिस ने की।
-किस्सागोई के लिए मशहूर राजेश कुमार पांडेय पूर्व आईपीएस हैं।
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