क्राइम की कहानी Ex. IPS की जुबानी पार्ट-8: साधु के वेश में आया 'काल', पढ़ें डॉ. दंपत्ति के मर्डर की हैरतअंगेज कहानी

एशियानेट न्यूज हिंदी क्राइम डायरी पर एक सीरीज चला रहा है। हम हर सप्ताह अलग-अलग क्राइम केसों की हैरतअंगेज कहानी लेकर आते हैं। आज पढ़िए लखनऊ में एक डॉक्टर दंपत्ति की हत्या की हैरतअंगेज कहानी पूर्व IPS राजेश पांडेय की जुबानी।

Rajkumar Upadhyay | Published : Jun 1, 2023 9:20 AM IST / Updated: Jun 01 2023, 03:59 PM IST

राजेश कुमार पांडेय। कैंसर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर रानू टंडन और उनकी पत्नी डॉ. मधु टंडन (गायनोकोलॉजिस्ट) के शव बेडरूम में पड़े मिले। बेडरूम के फ़र्श पर ही गद्दा बिछाकर सोने का इंतजाम था। मधु टंडन के सिर पर किसी भारी चीज से हमला किया गया था। बहुत खून निकला था। डॉ रानू टंडन के सिर में कई चोटें थी।  वारदात के समय डॉक्टर दंपत्ति की 6 वर्ष की बिटिया नेहा सो रही थी। घटना के बारे में वह कुछ बताने की स्थिति में नहीं थी। 23 सितंबर 2001 को विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ में यह घटना सामने आई।

घटना स्थल पर क्या मिला?

Latest Videos

नौकर गोकुल सुबह छह साढ़े छह बजे बेड-टी लेकर जाता था। वारदात के दिन उसके मुख्य गेट खुला पाया और भीतर डॉ. दपंत्ति के लहूलुहान शव देखें। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने छानबीन शुरु की। इसी बीच बगल के प्लॉट से मोहल्ले का चौकीदार केदारनाथ जख्मी हालत में मिला। उसके सिर पर चोट थी और बेल्ट से हाथ बंधे हुए थे। फॉरेंसिक डिपार्टमेंट ने अपनी फॉरमैलिटी की। आला कत्ल यानी जिस चीज से मर्डर किया गया था। वह भी पास ही रेलवे लाइन के पास ताजे कटे हुए हरे पेड़ों के मोटे डंडे के रूप में मिला। डंडों पर खून लगा था। फ्रिज में रखा खाना भी गायब था और किचन में ही एक व्यक्ति का मल पड़ा हुआ था। फॉरेंसिक साइंटिस्ट के अनुसार, कातिल नंगे पैर ही आए थे। फिर यह पक्का हो गया कि यह क्रिमिनल ट्राइब का आतंक है। जिसे बावरिया कहते हैं।

80 वर्षीय टीकाराम ने की रेकी

इस घटना से शहर में इतनी दहशत थी कि रात-रात भर लोगों न जागना शुरू कर दिया था। 10 अक्टूबर 2001 को घटना में शामिल छह व्यक्तियों को पकड़ा गया। इनमें 80 वर्षीय टीकाराम गैंग का स्पॉटर था, जो घरों की रेकी करके टारगेट तय करता था। टीकाराम सितंबर के दूसरे सप्ताह में साधु के कपड़े पहन कर मोहल्लों में घूमता रहा और उसी बीच विवेक खंड आया। डॉक्टर साहब के मकाने की घंटी बजाई और खाना मांगा। घर से निकली मधु टंडन ने उसको खाना खिलाया और अपनी बेटी नेहा से पानी मंगाकर पिलाया। टीकाराम नेहा को लंबी उम्र का अशीर्वाद देकर चला गया।

बावरिया गैंग को आसान टारगेट लगा डॉक्टर का घर

बावरिया गैंग ने हरदोई में रेलवे स्टेशन के पास बालामऊ में अपना डेरा लगा रखा था। टीकाराम वहां पहुंचा और टारगेट के बारे में गैंग के सदस्यों को जानकारी दी। उन लोगों ने डॉक्टर टंडन के मकान को ही अपराध के लिए सेलेक्ट किया, यह उनके लिए सबसे आसान टारगेट था, क्योंकि टीकाराम को घर में सिर्फ एक ​महिला और छोटी बच्ची दिखाई दी थी।

हमले में गार्ड जख्मी, सीटी छीनी

वारदात के दिन बावरिया गैंग के 8 लोग चार बाग रेलवे स्टेशन पहुंचे। उनमें टीकाराम, शेरु, कृपाल के अलावा भिखारी, अमरसिंह, फुल्लू, भर और बीरपाल थे। शराब पी और रेलवे लाइन के किनारे लगे पेड़ से 4 डंडे तोड़े। रेलवे लाइन के सहारे रात में 12:30 से 12:45 बजे के करीब विवेक खंड स्थित डॉक्टर रेनू टंडन के मकान पर पहुँच गए। वहां उन्हें मोहल्ले का गार्ड केदारनाथ मिला। उसके सिर पर डंडे से वार कर, बेल्ट से हाथ बांध कर पास के खाली प्लॉट पर ले गए। बीरपाल और भूरे को उसकी निगरानी के लिए खड़ा कर दिया। फुल्लू को सीटी थमाई गई कि थोड़ी थोड़ी देर पर वह सीटी बजाता रहे ताकि मोहल्ले वालों को यह अंदाज रहे कि उनका गार्ड जग रहा है।

रेलवे ट्रैक से बालामऊ रेलवे स्टेशन पहुंचे

फिर भिखारी, शेरु और कृपाल डॉक्टर दंपत्ति के मकान के अंदर घुसे और आला-नकब (नुकीले धातु की चीज, जिससे अपराधी ताले और कुंडे तोड़ते हैं, पुलिस की भाषा में उसे आला-नकब कहते हैं) से स्लाइडिंग डोर तोड़ दिया। फ़र्श पर डॉक्टर, उनकी पत्नी और बच्ची सो रही थीं। डॉक्टर दंपत्ति के सिर पर डंडों से ताबड़तोड़ वार किया। फ्रिज से खाने का सामान निकाला, मल त्याग किया। दो अलमारियाँ तोड़ी और सामान लेकर रेलवे ट्रैक से भागते-भागते बालामऊ रेलवे स्टेशन पहुंचे। 6 लोगों के अलावा, 3 अन्य को भी अरेस्ट किया गया। इस तरह से पूरा गैंग पकड़ा गया। यह सुनकर सबके शरीर में सिहरन दौड़ गई कि जिस महिला ने खाना खिलाया, उसके परिवार को इन लोगों ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।

अब हिट एंड रन क्राइम में आ गए हैं ये क्रिमिनल

फिर हर अगस्त, सितंबर, अक्टूबर में किसी न किसी इलाके में, ज़िला दर जिला, पूरी पूरी रात पुलिस जागती थी। प्रभावी कार्यवाही के बाद अब फिलहाल इस तरह के गैंग का चलन बंद हो गया है। ये हिट एंड रन क्राइम में आ गए हैं। क्रिमिनल ट्राइब के लिए कुलदेवी का बड़ा महत्व होता है। बावरिया गैंग अगस्त महीने में पूजा-पाठ करके अपने ठिकानों से निकलते थे। अगस्त-सितंबर-अक्टूबर के तीन महीने क्राइम करते थे और अक्टूबर में दशहरे के ठीक पहले अपनी कुलदेवी के पूजन के लिए वापस अपने ठिकानों पर पहुंचते थे।

-किस्‍सागोई के लिए मशहूर राजेश कुमार पांडेय पूर्व आईपीएस हैं।

यह भी पढें-इस गैंग के सफाए पर बनी है ब्लॉकबस्टर मूवी, साउथ तक था आतंक, कैसे हुआ खात्मा?

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

स्टाफ तक पहुंचा CM सुखविंदर सुक्खू का समोसा और केक, CID को मिला जांच का आदेश । Himachal Pradesh
US Election Results 2024: Donald Trump ने कैसे दर्ज की ऐतिहासिक जीत? 5 वजह आईं सामने
स्मृति ईरानी ने इंडी अलायंस को दे दी चुनौती, कहा- कभी नहीं होगा ये काम #Shorts
AMU के अल्पसंख्यक दर्जा पर क्या है SC के फैसले का मतलब- 10 प्वाइंट । Aligarh Muslim University
'सपा-कांग्रेस में हो गया तलाक' खटाखट से सफाचट तक सुनिए क्या बोले Yogi Adityanath