एशियानेट न्यूज हिंदी क्राइम डायरी पर एक सीरीज चला रहा है। हम हर सप्ताह अलग-अलग क्राइम केसों की हैरतअंगेज कहानी लेकर आते हैं। आज पढ़िए एक सिपाही के कारनामों की हैरतअंगेज कहानी पूर्व IPS राजेश पांडेय की जुबानी।
राजेश कुमार पांडेय। लखनऊ पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर में रहने वाले कांस्टेबल चंद्रजीत यादव ने 30 मार्च 2000 को अपनी पत्नी और 4 बेटियों की फरसे से गला काटकर हत्या कर दी। फिर भी उसका मन नहीं भरा। वह पत्नी की बॉडी के सीने पर दो घंटे तक खड़ा होकर ठहाके लगाता रहा। उधर, बच्चे खुली आंख से मौत का तांडव देख रहे थे। हैवान पिता एक-एक करके बेटियों को फरसे काट रहा था।
कॉन्स्टेबल का दस वर्षीय बेटा हैवान पिता के हमलों से बचता हुआ पुलिस लाइन के तत्कालीन आरआई केपीएस चौहान के घर मदद के लिए पहुंचा और सारी बात बताई। आनन-फानन में आरआई, सिपाही के घर पहुंचे। सिपाही से संवाद करने के लिए खिड़की खोली तो सिपाही उन पर भी फरसा लेकर टूट पड़ा, उन्हें चोटें भी आई। तब तक घर के बाहर भीड़ जमा हो गई। बाकी लोग भी आगे बढ़ने की कोशिश करते तो वह फरसे से मारने की धमकी देता।
घर में फोर्स के साथ घुसे SSP, फरसा लेकर दौड़ा
पुलिस लाइन में यह वारदात सामने आने के बाद आला-अफसर मौके पर पहुंचे। कॉन्स्टेबल चंद्रजीत यादव को समझाने की कोशिशें बेकार हो रही थीं। उसके सिर पर खून सवार था। वह किसी पर भी हमला करने में हिचक नहीं रहा था। तय हुआ कि सामने से कुछ लोग उसे बातों में उलझाए रखेंगे और फोर्स क्वार्टर के पीछे का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसेगी, यही हुआ भी, और जैसे ही तत्कालीन SSP बीबी बख्शी की अगुवाई में फोर्स घर में दाखिल हुई। सिपाही चंद्रजीत फरसा लेकर उन पर हमलावर हो गया। SSP बख्शी ने मौके की नजाकत को भांपते हुए तुरंत अपने साथ चल रहे गनर की रिवॉल्वर निकाल ली, और उसे आगे न बढ़ने की चेतावनी दी। यह सुनकर वह रूक गया और आखिरकार फरसा फोर्स को सौंपाा।
मकान के अंदर का दृश्य भयावह
दो कमरों के मकान के अंदर का दृश्य बहुत ही भयावह था। कमरे का फर्श खून से सना था। बेडरूम में एक तख्त पर पंक्तियों में पांच डेड बॉडी रखी हुई थीं। एक शव को छोड़कर बाकी सभी के सिर धड़ से अलग थे। दृश्य इतना वीभत्स था कि कुछ लोगों से देखा नहीं गया और वह कमरे से बाहर निकल आए। पुलिसकर्मियों के उग्र पजिनों की भीड़ मौके पर सिपाही चंद्रजीत के साथ खुद न्याय करने को उतारू थी। घंटों मशक्कत के बाद भीड़ को समझाया गया और फिर कॉन्स्टेबल चंद्रजीत को महानगर कोतवाली ले जाया गया। इस बीच पता चला कि पहले भी उसकी शिकायतें हो चुकी हैं। उस समय पुलिस लाइन में करीबन हजार पुलिसकर्मी और उनके परिजन रहते थे और एक तरफ गजेटेड आफिसर का हॉस्टल बना था।
पहली बार शिकायत...जब एएसपी पर तान दी थी राइफल
साल 1997 में कॉन्स्टेबल के रेजिडेंशियल क्वार्टर में ताले लगे हुए थे। मकानों का आवंटन न होने की स्थिति में लोग वेटिंग में थे। इसी बीच शाम को कॉन्स्टेबल चंद्रजीत आया और एक क्वार्टर का ताला तोड़कर सामान भीतर रखने लगा। पुलिस लाइन में शोर मच गया।तत्कालीन एएसपी अखिल कुमार (IPS) उस समय कैंपस में ही रहा करते थे। वह मौके पर पहुंचे और उससे पूछा कि कैसे बिना आवंटन के तुमने मकान का ताला तोड़कर अपना सामान रख लिया? तुम्हारे खिलाफ कारवाई होगी। यह सुनकर उसने तुरंत अपनी थ्री-नॉट-थ्री रायफल अखिल कुमार के ऊपर तान दी। वह भी दंग रह गए। बहरहाल, इस मामले में चंद्रजीत सस्पेंड हुआ, उसके खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था। पत्नी और बच्चों को सुल्तानपुर स्थित मायके भेज दिया गया और सिपाही चंद्रजीत को अंबेडकर नगर। हालांकि बाद में अम्बेडकरनगर के जलालपुर, उसरईहा गांव का रहने वाला कॉन्स्टेबल रिइंस्टिगेट होकर ड्यूटी करने लगा।
वारदात के डेढ़ महीने पहले पत्नी और बच्चों ने की शिकायत
घटना के दिन वह ट्रैफिक पुलिस में तैनात था। घटना से लगभग डेढ़-दो महीने पहले उसकी पत्नी और बच्चों ने तत्कालीन आरआई केपीएस चौहान से चंद्रजीत द्वारा मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने की शिकायत की थी। बहैसियत आरआई चौहान ने चंद्रजीत की लाइसेंसी एसबीएल गन मालखाने में जमा कर दिया और आचरण सुधरने पर ही वापस देने के लिए कहा। इसका भी चंद्रजीत पर कोई असर नहीं पड़ा। मारपीट का सिलसिला जारी रहा और आखिरकार यह घटना सामने आई।
आखिर क्यों किया कॉन्स्टेबल ने इतना बड़ा कांड?
आप भी सोच रहे होंगे कि क्यों एक सिपाही ने अपनी पत्नी और 4 बेटियों की बेरहमी से हत्या कर दी? क्याें फरसे से पत्नी का गला काटने के बाद भी उसके सीने पर दो घंटे तक खड़ा होकर ठहाके लगाता रहा? उधर, खुली आंख से बच्चे देख रहे थे मौत का तांडव।
पढ़िए इसकी वजह-पत्नी का गला काटा, सीने पर खड़ा होकर घंटों हंसता रहा कॉन्स्टेबल, क्या थी वजह?
-किस्सागोई के लिए मशहूर राजेश कुमार पांडेय पूर्व आईपीएस हैं।
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