
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सड़क पर लापरवाही से वाहन चलाने वालों पर अब और सख्ती होने वाली है। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के जॉइंट पुलिस कमिश्नर (यातायात) बबलू कुमार ने घोषणा की है कि जिन वाहनों पर 5 या 6 चालान दर्ज हो जाएंगे, उनके ड्राइविंग लाइसेंस रद्द (Cancel) कर दिए जाएंगे। यह निर्णय उन्होंने सोमवार को ‘यातायात माह’ और सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ के मौके पर लिया।
पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान JCP बबलू कुमार ने सड़क सुरक्षा जागरूकता टीमों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों का पालन अब सिर्फ अपील नहीं, बल्कि सख्त कार्रवाई का विषय होगा।
“जो वाहन मालिक बार-बार नियम तोड़ेंगे, उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे। जनता को जागरूक करना हमारा मकसद है, लेकिन नियम तोड़ने वालों को चेतावनी भी जरूरी है।” — JCP बबलू कुमार
लखनऊ पुलिस ने बताया कि पूरा नवंबर माह ‘यातायात माह’ के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें सड़क सुरक्षा रैलियां, पोस्टर अभियान और ट्रैफिक अवेयरनेस कैंप आयोजित होंगे।
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यह घोषणा भले ही चर्चा में है, पर कानूनी दृष्टि से इस पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल, गाड़ी संपत्ति की श्रेणी में आती है, और इसे किसी के भी नाम से खरीदा जा सकता है — जरूरी नहीं कि उस व्यक्ति के पास ड्राइविंग लाइसेंस हो। लखनऊ में ही बड़ी संख्या में वाहन ऐसे हैं, जो महिलाओं के नाम पर खरीदे गए हैं, जबकि वाहन चलाने वाले पुरुष हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर गाड़ी पत्नी के नाम पर है और चालान पति के नाम दर्ज हो रहे हैं, तो लाइसेंस किसका निरस्त होगा?
कानून के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की शक्ति पुलिस के पास नहीं होती। यह अधिकार केवल परिवहन विभाग (RTO) के पास होता है। पुलिस केवल चालान रिपोर्ट और ट्रैफिक उल्लंघन के दस्तावेज़ RTO को भेज सकती है, जिसके बाद विभाग तय करता है कि लाइसेंस निलंबित या निरस्त होगा या नहीं।
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति का लाइसेंस तभी निरस्त किया जा सकता है जब:
सिर्फ चालान की संख्या बढ़ जाने से लाइसेंस सीधे निरस्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि ट्रैफिक विभाग जांच कर दोषी न पाए।
ट्रैफिक विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस का उद्देश्य जनता को नियमों के प्रति सतर्क करना है। हालांकि, ऐसे आदेशों को कानूनी और प्रशासनिक रूप से संतुलित तरीके से लागू करना जरूरी है सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. अनीता तिवारी कहती हैं “ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए सख्ती जरूरी है, लेकिन जनता को डराने के बजाय शिक्षित करना ज्यादा असरदार तरीका है।”
लखनऊ पुलिस का यह फैसला एक सख्त कदम है, जो ट्रैफिक अनुशासन को मजबूत कर सकता है, लेकिन इसकी कानूनी प्रक्रिया और व्यावहारिकता पर सवाल कायम हैं। अब देखना यह होगा कि यह फरमान सिर्फ चेतावनी बनकर रह जाता है या सच में ट्रैफिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम साबित होता है।
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