
लखनऊ। उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में आयोजित माटीकला मेलों ने प्रदेश के कारीगरों और हस्तशिल्प उत्पादों के विपणन में नई ऊर्जा भरी है। इस अवधि में 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव, 7 दिवसीय क्षेत्रीय मेले और 3 दिवसीय लघु माटीकला मेले आयोजित किए गए। कुल 691 दुकानों में ₹4,20,46,322 की बिक्री हुई, जो पिछले वर्ष 2024-25 की ₹3,29,28,410 की तुलना में ₹91,17,912 अधिक है। यह लगभग 27.7% की वृद्धि दर्शाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फोकस परंपरागत शिल्पों और कारीगरों के उत्थान पर है, ताकि उनके उत्पादों को देश-विदेश में पहचान मिल सके।
लखनऊ के खादी भवन में 10 से 19 अक्टूबर 2025 तक आयोजित 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव में 56 दुकानों ने ₹1,22,41,700 की बिक्री की। गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात और मुरादाबाद में 13 से 19 अक्टूबर तक चले क्षेत्रीय मेलों में 126 दुकानों से ₹78,84,410 का विक्रय हुआ। वहीं, प्रदेश के 70 जिलों में 17 से 19 अक्टूबर तक आयोजित लघु माटीकला मेलों में 509 दुकानों द्वारा ₹2,19,20,212 की बिक्री दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि माटीकला उत्पादों के प्रति उपभोक्ताओं का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है।
पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 878 दुकानों द्वारा ₹3,29,28,410 की बिक्री दर्ज की गई थी। इस वर्ष दुकानों की संख्या कम रही, फिर भी कुल विक्रय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह इस बात का प्रमाण है कि उत्पादों की गुणवत्ता, प्रदर्शन की बेहतर व्यवस्था और विपणन सहयोग ने सकारात्मक प्रभाव डाला। माटीकला बोर्ड का लक्ष्य है कि प्रशिक्षण, डिजाइन विकास, ब्रांडिंग और आधुनिक विपणन तकनीकों के माध्यम से कारीगरों को दीर्घकालिक आर्थिक सशक्तिकरण मिले। आगामी वर्षों में उपभोक्ता आधारित कार्यक्रमों से कारीगरों की आय और दक्षता में और वृद्धि की जाएगी।
योगी सरकार ने परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों की सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक मजबूती और तकनीकी विकास के लिए उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड का गठन किया। इस कदम से हजारों परिवारों को आत्मनिर्भरता का नया आधार मिला है। सरकार ने प्रजापति समुदाय के माटीकला कारीगरों को राहत देते हुए गांवों के तालाबों से मिट्टी निकालने की व्यवस्था निःशुल्क कर दी है। इससे कच्चे माल की उपलब्धता आसान हुई और लागत में कमी आई। यह दर्शाता है कि सरकार पारंपरिक कला को आधुनिक विपणन और नवाचार के माध्यम से वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में गंभीर है।
माटीकला बोर्ड के महाप्रबंधक ने बताया कि योगी सरकार के समर्थन और बोर्ड के प्रयासों से कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ने का अवसर मिला है। मेलों में खरीदारों ने स्थानीय शिल्प और पारंपरिक उत्पादों को उत्साहपूर्वक अपनाया। इससे न केवल कारीगरों की आय बढ़ी, बल्कि माटीकला उत्पादों की ब्रांड वैल्यू भी मजबूत हुई है। आगामी वर्षों में इन मेलों का दायरा और बढ़ाया जाएगा ताकि उत्तर प्रदेश के माटीकला उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच सकें।
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