लखनऊ: दबंगों और बाहुबलियों माने जाने वाले राज्य में शराब के कारोबार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, जो अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी है। यूपी में ऐसी कल्पना मुश्किल है कि महिलाएं शराब कारोबार में अपनी दावेदारी करें लेकिन साल 2018 में योगी सरकार द्वारा बनाई नई शराब नीति ने पूरी स्थिति बदल दी हैं। जारी हुए नए आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल से प्रदेश के 25 फीसदी खुदरा शराब कारोबार महिलाओं के नियंत्रण में होंगे।
शराब कारोबार में पूरे देश में होगी सबसे बड़ी भागीदारी
यूपी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी हैं। फिलहाल स्थिति यह है कि अप्रैल से प्रदेश में खुदरा शराब कारोबार को कंट्रोल करने वालों में 25 फीसदी महिलाएं होंगी। यह पूरे देश में शराब कारोबार में महिलाओं की सबसे बड़ी भागीदारी बताई जा रही है। संगमनगरी प्रयागराज में आबकारी विभाग मुख्यालय द्वारा बनाए गए राज्यव्यापी आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य भर में 2023-24 वित्तीय वर्ष के लिए विभाग द्वारा जारी कुल 28,930 खुदरा शराब की दुकानों (भांग की दुकानों सहित) (भांग की दुकानों सहित) में से 7,216 महिलाओं द्वारा लिया गया है।
महिलाओं के अलावा ट्रांसजेंडर्स ने भी खोली है दुकान
महिलाओं ने शराब कारोबार में भागीदारी में सबसे ज्यादा लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज जिलों में ली है। उद्योग में महिलाएं ही नहीं बल्कि ट्रांसजेंडर्स भी खुदरा शराब के कारोबार में उतरे हैं। फिरोजाबाद में एक ट्रांसजेंडर ने दो शराब की दुकानों के लिए आवेदन किया है। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से स्थिति बदल गई है। इससे उद्योग में बाहुबलियों का प्रभाव कम करने के लिए सरकार ने नीतियों में काफी बदलाव किए है।
2017 में योगी सरकार आने के बाद बदल गई पूरी स्थिति
शराब उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि साल 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद प्रदेश के शराब कारोबार की दुनिया में स्थिति बदली है। शराब कारोबार में बाहुबलियों का प्रभाव कम करने के लिए सरकार ने नीतियों में काफी बदलाव किया है। सबसे बड़ा बदलाव तब हुआ जब सरकार ने अहम कदम उठाए। जिसके तहत राज्य में कोई एक व्यक्ति केवल दो शराब की दुकान के लिए आवेदन कर सकता है। इससे इस कारोबार में गैर-अनुभवी नए लोगों के लिए रास्ता साफ हुआ।
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