मधुमिता हत्याकांडः पत्नी मधुमणि के साथ 20 साल बाद जेल से बाहर आएगा अमरमणि त्रिपाठी?

Published : Aug 25, 2023, 08:40 AM ISTUpdated : Aug 25, 2023, 12:22 PM IST
Amarmani Tripathi

सार

मधुमिता हत्याकांड (Madhumita murder case) में उम्रकैद की सजा काटने वाले यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल से बाहर आएंगे। जेल प्रशासन विभाग ने इसके लिए आदेश जारी कर दिए हैं। 

लखनऊ। बहुचर्चित मधुमिता हत्याकांड (Madhumita murder case) में उम्रकैद की सजा काटने वाले अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि 20 साल बाद जेल से बाहर आने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन विभाग ने रिहाई का आदेश जारी किया है।

राज्यपाल की अनुमति से यूपी के कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी को रिहा करने के आदेश जारी किए हैं। वर्तमान में दोनों गोरखपुर जेल में बंद हैं। बांड भरने के बाद वे जेल से बाहर आएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर नहीं लगाई रोक, यूपी सरकार से मांगा जवाब
अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि की रिहाई के खिलाफ मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। शुक्रवार को इसपर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि और मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है। कोर्ट ने इसके लिए आठ सप्ताह का वक्त दिया है। निधि शुक्ला ने अमरमणि और उसकी पत्नी की रिहाई का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अमरमणि जेल से बाहर आता है तो उनकी जान को खतरा होगा।

9 मई 2003 को हुई थी मधुमिता शुक्ला की हत्या

9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कॉलनी में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की भागीदारी सामने आने पर इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था। इसके बाद मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी गई थी। देहरादून के विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश ने मधुमिता की हत्या के आरोप में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

क्या है मधुमिता शुक्ला हत्याकांड?

9 मई 2003 को मधुमिता शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। उनका शव लखनऊ के निशातगंज इलाके में उनके घर पर पाया गया था। 24 साल की मधुमिता कथित तौर पर त्रिपाठी की प्रेमिका थीं। अमरमणि त्रिपाठी यूपी सरकार में मंत्री भी बने थे। वह चार बार विधायक रहे थे। उनका काफी प्रभाव था। मधुमिता के परिवार को डर था कि त्रिपाठी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लखनऊ से देहरादून ट्रांसफर कर दिया था। हत्या के वक्त मधुमिता गर्भवती थीं। कहा जाता है कि वह अमरमणि के बच्चे की मां बनने वाली थी। सीबीआई द्वारा फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टी हुई थी।

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