माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके शव को सुपुर्द ए खाक कर दिया गया है। मुख्तार का रुतबा यूपी ही नहीं कई राज्यों में था। वह जेल में रहकर भी तमाम फैसले लेता था।
अपराध और राजनीति का मुख्तार अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गया है। 25 अक्टूबर 2005 को जो मुख्तार जमानत तुड़वाकर जेल गया था वह शुक्रवार 29 अप्रैल 2024 को 19 सालों बाद ताबूत में घर वापस आया। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि इतनी जल्द सब कुछ खत्म हो जाएगा। मुख्तार के रुतबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यूपी ही नहीं कई गैर प्रांतों में भी जेल के दरवाजे उसके एक इशारे पर खुल जाया करते थे। यही नहीं पूर्वांचल से लेकर बिहार तक कोयला, रेलवे, स्क्रैप और रेशम आदि के ठेके पट्टों का फैसला भी जेल से होता था।
पूर्वांचल के कई जनपदों में उसने गैरकानूनी तरीके से आंध्र प्रदेश से मछली मंगवाकर बेचने का कारोबार भी स्थापित किया था। वहीं गाजीपुर में कई सरकारी जमीनों पर कब्जा कर वेयरहाउस और होटल बनवाया गया था। भले ही वह जेल से बाहर नहीं आया लेकिन मऊ से लगातार वह 2002 से 2017 तक विधायक रहा। जेल से ही मुख्तार ने चुनाव लड़ा और विधायक बना। सरकार बदली तो मुख्तार पर कानूनी शिकंजा कस और कई मामलों में सजा का ऐलान भी हुआ। इसी बीच जेल में बंद मुख्तार की मौत हो गई।