
प्रयागराज की पवित्र धरती पर हर वर्ष माघ मेला आस्था का महासंगम रचता है, लेकिन इस बार आयोजन कुछ अलग है। महाकुंभ-2025 की ऐतिहासिक सफलता के तुरंत बाद प्रदेश सरकार माघ मेला-2026 को एक नए स्वरूप में प्रस्तुत करने जा रही है, ऐसा स्वरूप जो परंपरा, तकनीक और सुंदरता को एक साथ जोड़ता हुआ दिखेगा। संगम के तट पर तैयारियां अब लगभग अंतिम चरण में हैं और पूरा प्रशासन एक विश्वस्तरीय धार्मिक आयोजन की रूपरेखा को मूर्त रूप देने में जुटा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मेला प्रशासन ने तैयारियों को गति दी है। साफ-सफाई से लेकर सुरक्षा, यातायात व्यवस्था से लेकर चिकित्सा सुविधाओं तक, हर पहलू को विशेष रूप से मजबूत किया जा रहा है। मुख्य सचिव की हालिया बैठक में माघ मेला 2026 के प्रतीक चिन्ह का अनावरण, सेक्टरवार रंग योजना और अवसंरचना सुधारों पर व्यापक चर्चा हुई।
अनुमान है कि इस वर्ष संगम पर 12 से 15 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे। लाखों कल्पवासियों के प्रतिदिन प्रवास को देखते हुए सुविधाओं का दायरा इस बार और भी व्यापक रखा गया है।
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हर सेक्टर को संतुलन, सौंदर्य और आध्यात्मिक माहौल का एहसास देने के लिए प्रशासन ने एक अनोखी योजना तैयार की है। सातों सेक्टर्स और सात पॉन्टून पुलों को सात ऊर्जा चक्रों के रंगों से सजाया जाएगा।
प्रत्येक सेक्टर की चहारदीवारी पर तीन फुट चौड़ी सीमांकन पट्टी बनेगी, जिससे मेला क्षेत्र का आकार और पहचान स्पष्ट रहेगी। हर सेक्टर में उत्तर प्रदेश सरकार और माघ मेला-2026 का आधिकारिक प्रतीक चिह्न अंकित किया जाएगा, ताकि पूरा परिसर एकरूपता प्रस्तुत कर सके।
ये बदलाव भीड़ प्रबंधन को और सुचारू बनाएंगे।
प्रयागराज के पॉन्टून पुल हमेशा से मेला की पहचान रहे हैं, लेकिन इस बार उनका रूप पहले से अधिक आकर्षक और सुरक्षित होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि माघ मेला-2026 केवल एक धार्मिक आयोजन न होकर एक ऐसा अनुभव बने जो आने वाले वर्षों के लिए देशभर के आयोजनों का मानक तय करे।
सुरक्षा, सफाई, यातायात व्यवस्था, चिकित्सा सेवाओं और आधुनिक सुविधाओं को प्राथमिकता देते हुए मेला प्रशासन अपने कार्यों को अंतिम चरण में पहुंचा चुका है।
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